कांग्रेस ने डसॉल्ट के चेयरमैन के वीडियो को ट्वीट किया है। डसॉल्ट वही कंपनी है जो राफेल लड़ाकू विमान का निर्माण करती है। ट्वीट में ये कहा गया है कि कंपनी की डील 108 राफेल विमान भारत में बनाने के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड यानि एचएएल के साथ लगभग तय हो गई थी। लेकिन ठीक दो हफ्ते पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेरिस में नई डील की घोषणा कर दी, जिससे एचएएल को अलग कर दिया गया था। नई डील की घोषणा से ठीक दो दिन पहले विदेश सचिव एस जयशंकर ने रिपोर्टरों को बताया कि एचएएल इस डील का हिस्सा है।
कांग्रेस के द्वारा ट्वीट किए गए वीडियो मे डसॉल्ट के प्रमुख एरिक ट्रैपियर को बोलते दिखाया गया है। ये वीडियो 25 मार्च 2015 का है। डसॉल्ट प्रमुख का ये भाषण भारतीय वायु सेना और एचएएल के अधिकारियों की उपस्थिति में दिया गया था। इस भाषण में ट्रैपियर को राफेल के ठेके में जिम्मेदारी के बंटवारे के बारे में बोलते सुना जा सकता है।
Watch Éric Trappier, Chairman @Dassault_OnAir, on 25/03/15 speak, in the presence of IAF & HAL Chiefs, about responsibility sharing on the Rafale contract. 17 days later PM Modi gave the contract to Reliance.@nsitharaman should resign for lying to the nation. #RafaleModiKaKhel pic.twitter.com/6VoIcFjPlg
— Congress (@INCIndia) September 23, 2018
कांग्रेस ने ट्वीट किया, ”17 दिन बाद पीएम मोदी ने रिलायंस को ठेका दे दिया।” पार्टी ने देश से झूठ बोलने के लिए रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के इस्तीफे की मांग की है। 10 अप्रैल 2015 को पीएम मोदी ने फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रांस्व ओलांद से बातचीत के बाद 36 राफेल विमान खरीदने की घोषणा की थी।
कांग्रेस नीत यूपीए सरकार ने डसॉल्ट से 126 राफेल विमानों का सौदा किया था, जिसमें से 18 तैयार लड़ाकू विमान भारत आने थे, जबकि 108 विमान भारत में एचएएल के सहयोग से तैयार किए जाने थे। हालांकि यूपीए ने इस डील पर हस्ताक्षर नहीं किए थे। अब विपक्ष पूछ रहा है कि आखिर कैसे एचएएल अप्रैल 2015 में पीएम मोदी की फ्रांस यात्रा के बाद डसॉल्ट के साथ हुई बातचीत के बाद भी बाहर हो गया। जबकि 8 अप्रैल को तत्कालीन विदेश सचिव एस. जयशंकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा था कि एचएएल इस सौदे का हिस्सा होगा।
एस. जयशंकर ने कहा,” राफेल के संबंध में, मेरी जानकारी के मुताबिक फ्रेंच कंपनी (डसॉल्ट), रक्षा मंत्रालय और एचएएल, जो कि इसमें शामिल है, इनके बीच बातचीत आपस में हो रही है। ये बेहद तकनीकी और विस्तृत चर्चा है। हम इसे नेतृत्व के स्तर की बातचीत और जारी रक्षा ठेकों की गहरी जानकारी के साथ इसे मिला नहीं सकते हैं। ये एक बिल्कुल अलग रास्ता है। नेतृत्व का दौरा अक्सर सुरक्षा क्षेत्र के बाद भी बड़ी तस्वीर जारी करता है।”