मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने मंगलवार को मेयर और छोटे नगर निकायों के अध्यक्ष पद के लिए अप्रत्यक्ष चुनाव कराने की मंजूरी दे दी। इस फैसले के बाद कांग्रेस और विपक्षी पार्टी बीजेपी के बीच वाकयुद्ध जोरों पर है। बीजेपी ने कांग्रेस पर प्रत्यक्ष चुनावों में हार से डरने का आरोप लगाया है। उसने कहा है कि पार्षदों को मेयर या अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया में धांधली और हॉर्स ट्रेडिंग की तरकीब अपनाई जा सकती है और सरकार अपने प्रभाव का भी इस्तेमाल करेगी। गौरतलब है कि राज्य के 16 निगर निगमों में सभी के मेयर बीजेपी से ही संबंध रखते हैं।

राज्यपाल के पास भेजे गए दो अध्यादेशों में से उन्होंने पहले एमपी लोकर अथॉरिटी (चुनावी अपराध) संशोधन अध्यादेश को मंजूरी दी थी, जिनमें उम्मीदवारों को 6 महीने तक की जेल की सजा देने और उनके नामांकन में गलत जानकारी पेश करने के लिए 25,000 रुपये तक का जुर्माना लगाने की मांग करता है। लेकिन, नगरपालिका अधिनियम में संशोधन करने के लिए उन्होंने तुरंत संकेत नहीं दिए।

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और कानून के वरिष्ठ जानकार विवेक तन्खा ने रविवार को एक ट्वीट के जरिए राज्यपाल लालजी टंजन को ‘राज धर्म’ निभाने की बात कही। लेकिन, उनके इस ट्वीट पर राज्यपाल भड़क गए और सीएम को इस मामले में फोन किया। तन्खा ने ट्वीट किया था, “उन्हें (राज्यपाल) विपक्ष की बात सुननी चाहिए, लेकिन सहमति पर रोक लगाने से गलत परंपरा कायम होगी।”

मंगलवार को राजभवन ने तन्खा का नाम लिए बिना बयान जारी किया। जिसमें कहा, “संवैधानिक पदों का उल्लंघन करने वाले लोगों के विवेक पर टिप्पणी करना संवैधानिक सीमाओं का उल्लंघन है। राज्यपाल पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष दबाव डालना संवैधानिक सीमाओं का उल्लंघन माना जाता है। यह हरकत लोकतांत्रिक परंपराओं के लिए हानिकारक है।” नोट में सीएम के हवाले से लिखा गया, जिसमें उन्होंने राज्यपाल से कहा कि सरकार को उन लोगों द्वारा सार्वजनिक टिप्पणियों से कोई लेना-देना नहीं है जिन्होंने उस पर दबाव बनाने की कोशिश की। सीएम ने भी तन्खा का नाम लिए बिना कहा, “वे टिप्पणियां व्यक्तिगत हैं। लोकतंत्र में मर्यादाओं का सम्मान करना जरूरी है।”