मानसून सत्र शुरू होते ही उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा दे दिया है। आज मानसून सत्र का पहला ही दिन था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा दिया है। धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी कैबिनेट का सहयोग के लिए धन्यवाद भी किया। इस बीच कांग्रेस महासचिव और सांसद जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि वे धनखड़ को मनाए।

जयराम रमेश ने क्या कहा?

जयराम रमेश ने X पर एक पोस्ट में कहा, “उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति का अचानक इस्तीफा जितना चौंकाने वाला है, उतना ही अकल्पनीय भी है। आज शाम करीब 5 बजे तक मैं उनके साथ था, वहां कई अन्य सांसद भी साथ थे, और शाम 7:30 बजे मेरी उनसे फोन पर बातचीत भी हुई थी। निःसंदेह जगदीप धनखड़ को अपने स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए। लेकिन यह भी स्पष्ट है कि उनके इस बिल्कुल अप्रत्याशित इस्तीफे के पीछे जो दिखाई दे रहा है, उससे कहीं अधिक है। हालांकि यह समय अटकलें लगाने का नहीं है। जगदीप धनखड़ ने सरकार और विपक्ष,दोनों को समान रूप से आड़े हाथों लिया। उन्होंने कल दोपहर 1 बजे बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक बुलाई थी और न्यायपालिका से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण घोषणा करने वाले थे।”

Vice President Jagdeep Dhankhar Resigns LIVE Updates

जयराम रमेश ने आगे कहा, “हम उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं और उनसे आग्रह करते हैं कि वे अपने निर्णय पर पुनर्विचार करें। हम प्रधानमंत्री से भी अपेक्षा करते हैं कि वे जगदीप धनखड़ को अपना मन बदलने के लिए राज़ी करें। यह देशहित में होगा। विशेष रूप से कृषक समुदाय के लिए यह एक बड़ी राहत होगी।”

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उपराष्ट्रपति ने अपने इस्तीफे में क्या लिखा?

उपराष्ट्रपति ने अपने पत्र में लिखा, “मैं संविधान के अनुच्छेद 67A के अनुसार अपने पद से इस्तीफा देता हूं। मैं भारत के राष्ट्रपति में गहरी कृतज्ञता प्रकट करता हूं। आपका समर्थन अडिग रहा और मेरा कार्यकाल शांतिपूर्ण और बेहतरीन रहा। मैं माननीय प्रधानमंत्री और मंत्रीपरिषद के प्रति भी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करता हूं। प्रधानमंत्री का सहयोग और समर्थन अमूल्य रहा है और मैंने अपने कार्यकाल के दौरान उनसे बहुत कुछ सीखा है। माननीय सांसदों से जो मुझे स्नेह, विश्वास और अपनापन मिला, वह मेरी स्मृति में हमेशा रहेगा। मैं इस महान लोकतंत्र के लिए आभारी हूं कि मुझे इस महान लोकतंत्र में उपराष्ट्रपति के रूप में जो अनुभव और ज्ञान मिला, वह अत्यंत मूल्यवान रहा। यह मेरे लिए सौभाग्य और संतोष की बात रही है कि मैंने भारत की अभूतपूर्व आर्थिक प्रगति और परिवर्तनकारी युग में तेज विकास को देखा और उसमें अपनी भागीदारी निभाई। इस महत्वपूर्ण दौर में सेवा करना मेरे लिए सच्चे सम्मान की बात रही है। आज जब मैं इस पद को छोड़ रहा हूं तो मेरे दिल में भारत की उपलब्धियां और शानदार भविष्य के लिए गर्व और अटूट विश्वास है।”