गेंहू के निर्यात पर रोक लगाने के बाद केंद्र सरकार ने 15 मई को जानकारी दी कि गेहूं की खरीद की तारीख 31 मई तक बढ़ा दी गई है। बता दें कि केंद्र सरकार के इस फैसले से बिहार, हिमाचल प्रदेश, यूपी, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, और उत्तराखंड जैसे गेहूं उत्पादक राज्यों के करोड़ों किसानों को गेहूं बेचने के लिए अब 15 दिन का समय और मिल गया है।

वहीं गेंहू उत्पादन और उसकी खरीद को लेकर न्यूज 24 टीवी चैनल पर हुई एक बहस में कांग्रेस नेता ने दावा किया कि पिछले तीन सालों में कृषि बजट के 67 हजार करोड़ रुपये खर्च ही नहीं हुए। दरअसल एंकर ने कांग्रेस प्रवक्ता अभय दुबे से सवाल किया कि सरकार के पास गेंहू नहीं है, तभी तो गेंहू के निर्यात पर रोक लगा दी गई है? इसी बात को लेकर कश्मकश है ना?

इसपर कांग्रेस प्रवक्ता अभय दुबे ने कहा, “मार्च के महीने में एग्रीकल्चर पर आई पार्लियामेट्री स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी सरकार ने एग्रीकल्चर बजट में पिछले तीन सालों में 67 हजार करोड़ नहीं खर्च ही नहीं किये, सरेंडर कर दिये। रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि एग्रीकल्चर के कुल बजट में लगातार 4 सालों में बजट घटाया गया है।”

बता दें कि अभय दुबे ने आरोप लगाया गेंहू की खरीद सरकार ने किसानों से नहीं की। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने महंगाई के दबाव में गेहूं निर्यात पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने का फैसला लिया था। इस निर्यात पर रोक लगाने का नोटिफिकेशन जारी होने को लेकर यह भी कहा गया कि पहले जिन निर्यातकों ने निर्यात को लेकर अनुबंध कर लिया है, उन्हें गेहूं विदेश भेजने की अनुमति होगी।

गेंहू निर्यात को लेकर सरकार की तरफ कहा गया है कि किसी दूसरे देश की खाद्य सुरक्षा या वहां की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सरकार की अनुमति से वहां गेहूं का निर्यात हो सकेगा। कहा गया है कि उक्त देश की सरकार के आग्रह पर इस तरह का निर्यात निर्भर करेगा।