हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में फूट नजर आ रही है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) एक दूसरे संपर्क साधकर गठबंधन की तरफ बढ़ रहे हैं। कांग्रेस के अंदरूनी खेमें में इसे लेकर असमंजस की स्थिति है। यही वजह है कि पार्टी नेताओं के बीच इसको लेकर फूट नजर आ रही है। पूर्व कांग्रेस प्रदेश प्रमुख अशोक तंवर भी खासे नाराज बताए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा है कि कांग्रेस को अपने दम पर दलितों के वोट मिल जाएंगे अगर ‘कांशीराम’ और ‘मायावती’ को सम्मान दिया जाए। कांग्रेस को बीएसपी से गठबंधन करने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि बीएसपी चुनाव दर चुनाव अपना आधार खोती जा रही है। मालूम हो कि मीडिया में ऐसी खबरें हैं कि रविवार रात हरियाणा कांग्रेस प्रेसिडेंट कुमारी शेलजा और सीएलपी लीडर भुपेंद्र सिंह हुड्डा ने बीएसपी सुप्रीमो मायावती से मुलाकात की। हालांकि दोनों ने ही ऐसी रिपोर्ट्स को खारिज किया है।

मालूम हो कि शुक्रवार को मायावती ने सीट शेयरिंग को लेकर तनातनी के बाद जननायक जनता पार्टी से गठबंधन तोड़ दिया। जिसके बाद से कयास लगाए जा रहे हैं कि बीएसपी कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सकती है। वहीं तंवर ने बीते हफ्ते इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा था कि ‘हमें (कांग्रेस) को बीएसपी के साथ गठबंधन करने की कोई जरूरत नहीं है।’

उन्होंने कहा ‘बीएसपी चुनाव दर चुनाव अपना आधार खोती जा रही है। 2009 के बाद से बीएसपी का ग्राफ लगातर गिर रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में बीएसपी को 5.5 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे। वहीं लोकसभा चुनाव में 3.5 प्रतिशत। बीते एक-डेढ़ साल में ही बीएसपी ने तीन-चार दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ा जिससे उनकी विश्वसनीयता खत्म हो चुकी है। हरियाणा के लोग बीएसपी पर भरोसा नहीं करते चाहे वह दलित हों या फिर गरीब।

मालूम हो कि कांग्रेस की लीडरशीप में बीते हफ्ते ही बदलाव किया गया है। बीते दिनों अशोक तंवर और भूपिंदर सिंह हुड्डा के बीच मतभेद की खबरें आयीं थी। जिसके बाद कांग्रेस आलाकमान ने तंवर को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर कुमारी शैलजा को उनकी जगह यह जिम्मेदारी सौंपी है। हालांकि हुड्डा पार्टी में अन्तर्कलह की खबरों को खारिज कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनका किसी नेता के साथ मनमुटाव नहीं है और आगामी विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी को पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर सहित सभी नेताओं को साथ लेकर चलना चाहिए।