जाने-माने पर्यावरणविद् आरके पचौरी के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत करने वाली महिला ने टेरी से इस्तीफा दे दिया और आरोप लगाया है कि संस्थान उसके साथ ‘बुरे से बुरा बर्ताव’ कर रहा था, वहीं टेरी ने आरोपों को पूरी तरह गलत और बेबुनियाद बताकर खारिज कर दिया। शिकायतकर्ता ने ‘द एनर्जी एंड रिसॉर्सेस इंस्टीट्यूट’ (टेरी) के मानव संसाधन निदेशक दिनेश वर्मा को भेजे अपने त्यागपत्र में आरोप लगाया कि संस्थान ने उसके साथ जो व्यवहार किया उससे उसे ‘मानसिक, पेशेवर और आर्थिक’ रूप से नुकसान पहुंचा।
फरियादी महिला ने आरोप लगाया कि जांच समिति द्वारा पचौरी को कदाचार का दोषी पाए जाने के बावजूद संस्थान यह सुनिश्चित करने के लिए न्यूनतम कार्रवाई करने में भी नाकाम रहा कि इस सबका उस पर असर नहीं पड़े। हालांकि टेरी ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वह पूरी तरह निष्पक्ष और तटस्थ रहा है और फारियादी को विशेषाधिकार देते हुए उनकी सभी मांगों को स्वीकार किया गया। संस्थान ने एक बयान में कहा, टेरी इस मामले में पूरी तरह निष्पक्ष और तटस्थ रहा है। संगठन ने आज तक फारियादी को विशेषाधिकार प्रदान किए हैं और उनकी सभी मांगों को माना है। टेरी के अनुसार, संस्थान ने किसी का पक्ष नहीं लिया जो दस्तावेजी रिकॉर्ड में जाहिर है। हम विनम्रतापूर्वक कहना चाहेंगे कि फरियादी के आरोप पूरी तरह झूठे और बेबुनियाद हैं।
उधर पीड़ित महिला ने आरोप लगाया है कि संगठन ने उसके साथ ‘बुरे से बुरा बर्ताव’ किया और उसे ‘मानसिक, पेशेवराना और आर्थिक’ रूप से चोट पहुंचाई। शिकायकर्ता एक अनुसंधान विश्लेषक है। शिकायतकर्ता ने अपने इस्तीफे में लिखा कि टेरी उसके हितों की रक्षा करने में नाकाम रहा।
उन्होंने कहा, संगठन की जांच समिति की ओर से आरके पचौरी को कार्यक्षेत्र में यौन उत्पीड़न करने का दोषी पाए जाने के बावजूद संगठन ने उनकी रक्षा की और उन्हें पूरी छूट दी। गवर्निंग काउंसिल ने भी मुझे अप्रत्याशित रूप से निराश किया। उन्होंने कहा, पुलिस जांच लंबित रहने के दौरान व्यक्ति को निलंबित तक नहीं कर सकी और न ही उसने दोषी पाए जाने के बावजूद कोई कार्रवाई की। आपने भी मेरे लिए प्रतिकूल माहौल बनाया जो बढ़ता ही गया और इसमें कमी आने की कोई संभावना नहीं दिखी। यह साफ हो गया है कि गवर्निंग काउंसिल डीजी के लिए और उनके निर्देशों के तहत काम कर रही है।
शिकायतकर्ता ने पत्र में लिखा, डीजी में कोई बदलाव नहीं आने वाला है जैसा कि 23 जुलाई 2015 को बताया गया था। मैं टेरी से तत्काल प्रभाव से अपना इस्तीफा दे रही हूं। शिकायतकर्ता ने पचौरी खिलाफ कार्यक्षेत्र पर यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई थी और फरवरी 2015 में दिल्ली पुलिस में प्राथमिकी भी दर्ज कराई थी। शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि संगठन ने उसके काम के प्रारूप को बदल दिया और ऐसा नहीं करने के उसके हर अनुरोध को ‘अनसुना’ कर दिया।
उन्होंने लिखा, ‘आपने मेरे काम के प्रारूप को बदल दिया और ऐसा नहीं करने के मेरे अनुरोध को अनसुना कर दिया। ऐसी कार्रवाई करने के लिए मुझे कोई स्पष्टीकरण भी नहीं दिया गया और ना ही मेरे किसी ईमेल- अनुरोध पर ध्यान दिया गया। मुझे केवल अस्पष्ट प्रतिक्रियाएं मिलीं।’
उन्होंने कहा, मैं आपके जैसे संगठन से जुड़ने से इनकार करती हूं जिसने मेरे साथ बुरा बर्ताव किया, जो कानून के साथ खड़ा नहीं रहा, जिसने मेरी क्षमताओं तक के लिए सम्मान नहीं दिखाया, मेरे कॅरिअर को कोई नुकसान नहीं पहुंचे इसके लिए भी कुछ नहीं किया और बावजूद इसके आपने मुझे मानिसक, पेशेवर और आर्थिक रूप से चोट पहुंचाई। उन्होंने यह भी कहा कि कार्यस्थल पर उन्हें जो कुछ भी ‘घोर दुराचार और मानसिक प्रताड़ना’ झेलनी पड़ी, उसके लिए वह अपने वेतन, नुकसान और अन्य देय राशि-लागत के दावे के लिए बिना किसी पूर्वग्रह के अपना इस्तीफा दे रही हैं।
13 फरवरी को पचौरी के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप में भारतीय दंड संहिता की धाराओं – 354 , 354, और 506 सहित संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। अदालत ने उन्हें अग्रिम जमानत दे दी हालांकि यह शर्त भी लगाई कि उन्हें जब भी बुलाया जाएगा वे जांच में शामिल होंगे और टेरी कार्यालय परिसर में नहीं घुसेंगे। टेरी गवर्निंग काउंसिल ने 23 जुलाई को पचौरी की जगह अजय माथुर को इसके महानिदेशक पद पर नियुक्त किया था। पचौरी को संयुक्त राष्ट्र की आइपीसीसी और जलवायु परिवर्तन पर प्रधानमंत्री की परिषद से भी हटा दिया गया था।
शिकायतकर्ता का आरोप
संगठन की जांच समिति ने पचौरी को दोषी पाए जाने के बावजूद उनकी रक्षा की और उन्हें पूरी छूट दी। गवर्निंग काउंसिल ने भी मुझे अप्रत्याशित रूप से निराश किया। मेरे लिए प्रतिकूल माहौल बनाया जो बढ़ता ही गया और इसमें कमी आने की कोई संभावना नहीं दिखी।
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