अच्छी नौकरियों की सीमित संख्या के कारण उत्पन्न हुई गलाकाट प्रतियोगिता के दौर में सबसे पहले तो नौकरी नहीं मिलती। यदि डिग्री, जानकारी, अनुभव आदि के आधार पर नौकरी मिल भी जाए तो पदोन्नति और वेतन वृद्धि अपेक्षानुरूप नहीं होती। कई बार पुराने कर्मचारी के अनुभव को दरकिनार कर नए व कम अनुभव वाले कर्मचारी पदोन्नति मिल जाती है।

नौकरी या पदोन्नति पाने में चूके उम्मीदवारों या कर्मचारियों को लगता है कि उनके साथ ज्यादती हुई है और प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरती गई। जबकि सच्चाई यह होती है कि दो उम्मीदवारों या कर्मचारियों के बीच व्यावहारिक कौशल (साफ्ट स्किल्स) वाली एक छोटी लेकिन अत्यंत महत्त्वपूर्ण वजह बड़ा फर्क पैदा कर देती है। अधिकांश मामलों में विफल उम्मीदवार इस बात से अनजान रहते हैं और तनाव में आ जाते हैं।

प्रतिस्पर्धा के इस दौर में कार्यक्षेत्र के लिए आवश्यक अन्य योग्यताओं के साथ व्यावहारिक कुशलता जैसे संचार योग्यता, संवाद योग्यता, नेतृत्व करने की योग्यता, संकट काल में प्रबंधन की क्षमता, सहयोगियों से श्रेष्ठ कार्य कराने की योग्यता, शीर्ष प्रबंधन के समक्ष अपनी बात व योजनाओं को प्रस्तुत करने की कला आदि का होना अपरिहार्य हो गया है।

इसलिए मुख्य कौशल के साथ-साथ नौकरी के लिए साक्षात्कार या पदोन्नति के लिए मानव संसाधन विभाग के अधिकारी के साथ बैठक से पहले कुछ आवश्यक व्यावहारिक कौशल पर काम करना जरूरी हो जाता है। व्यावहारिक कौशल हासिल कर न केवल नौकरी और पदोन्नति पाने की संभावना बढ़ाई सकती है बल्कि अब तो इस क्षेत्र में नए रोजगार का भी सृजन हो गया है।

दरअसल, व्यावहारिक कुशलता की महत्ता और इसमें सुधार के लिए विशेषज्ञों की सलाह की बढ़ती मांग को देखते हुए बड़ी संख्या में व्यावहारिक कौशल के प्रशिक्षकों की जरूरत उत्पन्न हो गई है। व्यावहारिक कुशलता से युक्त व्यक्ति इसे पूर्णकालिक या अंशकालिक कार्य तौर पर अपना कर न केवल कमाई कर रहे हैं,बल्कि नौकरी मांगने वाले बनने की बजाए नौकरी देने वाले बनने लगे हैं।

व्यावहारिक कौशल प्रशिक्षण

आज के समय में व्यावहारिक कौशल लोगों के पेशेवर जीवन के साथ-साथ व्यक्तिगत जीवन के लिए भी आवश्यक है। व्यावहारिक कौशल प्रशिक्षण के दौरान उम्मीदवार को विभिन्न मानवीय गुणों जैसे कि उनकी वाणी, शारीरिक भाषा, व्यवहार आदि में सुधार करना सिखाया जाता है। व्यावहारिक कौशल से लोगों को उपलब्ध अवसरों का लाभ उठाने और एक प्रभावशाली व्यक्तिगत छवि बनाने का आत्मविश्वास प्राप्त होता है।

व्यावहारिक कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम में रोजगार योग्यता और नौकरी कौशल प्रशिक्षण, व्यवहार कौशल प्रशिक्षण, सृजनात्मक (क्रिएटिव) प्रशिक्षण, व्यक्तित्व विकास प्रशिक्षण,आत्मविश्वास कोचिंग, स्वर व मौखिक संचार प्रशिक्षण, टीम प्रबंधन व प्रेरणा प्रशिक्षण, सार्वजनिक भाषण व प्रस्तुति कौशल आदि शामिल होते हैं।

व्यावहारिक कौशल प्रशिक्षण अहम क्यों

कई संगठन अपने व्यवसाय को सफलतापूर्वक संचालित करने के लिए नेटवर्किंग और संबंध निर्माण पर निर्भर होते हैं। इसलिए यदि कर्मचारियों के पास दूसरों के साथ अच्छी तरह से संवाद करने के लिए आवश्यक व्यावहारिक कौशल नहीं हैं, तो कारपोरेट जगत में सफलता अकल्पनीय है। चूंकि कई कंपनियां विभिन्न कार्यों और कर्तव्यों को पूरा करने के लिए कृत्रिम बौद्धिमत्ता (एआइ) का उपयोग करना शुरू कर रही हैं।

इसलिए उन्हें यह सुनिश्चित करने की जरूरत पड़ रही है कि उनके पास उपलब्ध मानव संसाधन उन कार्यों को कराने के लिए उत्कृष्ट व्यावहारिक कौशल से युक्त हों जो एआइ नहीं कर सकता है। तो यह स्पष्ट है कि व्यावहारिक कुशलता आजकल तकनीकी और डोमेन-संबंधित कौशल जितनी ही अहम है। इसकी महत्ता को देखते हुए भारत सरकार के कई विभाग व्यावहारिक कुशलता प्रशिक्षण को अपने अपने स्तर पर बढ़ावा दे रहे हैं जबकि शिक्षा मंत्रालय इसे स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की योजना बना रहा है।

व्यावहारिक कुशलता के क्षेत्र में मौके

एक व्यावहारिक कुशलता प्रशिक्षक के रूप में, आप एक उद्यमी बनने के लिए भी तैयार हो सकते हैं। एक बार व्यावहारिक कौशल प्रशिक्षण में प्रमाणित होने के बाद आप अपनी खुद की प्रशिक्षण कंपनी स्थापित कर सकते हैं और प्रशिक्षण संगठन स्थापित कर आप अपने द्वारा तय किए गए समय पर काम कर सकते हैं।

आपको चारदिवारी में बंद होकर सुबह बजे से शाम छह बजे वाले काम करने की बाध्यता नहीं रह जाती है, प्रशिक्षण इंटरनेट के माध्यम से आनलाइन भी प्रदान किया जा सकता है। इस कार्य को खुद की नौकरी या अन्य व्यवसाय के साथ भी जारी रखा जा सकता है। यूट्यूब व अन्य सोशल मीडिया मंचों पर व्यावहारिक कौशल से संबंधित वीडियो डालकर लोकप्रियता और आय दोनों प्राप्त की जा सकती हैं। आप चुन सकते हैं कि आप किसके साथ काम करेंगे और अपना खुद का पाठ्यक्रम बना सकते हैं।

  • अविनाश चंद्रा (लोकनीति के जानकार)