कोयला खदान आबंटन के मामले में गिरफ्तार झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा, पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता व झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव अशोक कुमार बसु व पांच अन्य को जमानत मिल गई। विशेष सीबीआइ न्यायाधीश भरत पराशर ने बुधवार को कहा कि मैंने इनकी जमानत स्वीकार कर ली है।
अदालत ने मामले पर आगे की सुनवाई के लिए आगामी चार मार्च की तारीख तय की है। यह मामला झारखंड के राजहरा नॉर्थ कोयला ब्लॉक का विनी आयरन एंड स्टील उद्योग लिमिटेड (वीआइएसयूएल) को आबंटन किए जाने में कथित अनियमितताओं का है। जमानत के आग्रहों पर तर्क सुनने के बाद अदालत ने अपना आदेश दोपहर तीन बजे तक सुरक्षित रख लिया था और फिर जमानत देने पर सहमत हो गया।
इससे पहले सीबीआइ ने कोड़ा और सात अन्य के जमानत संबंधी याचिकाओं का विरोध करते हुए आरोप लगाया कि इन लोगों ने एक कोयला ब्लॉक के आबंटन में आरोपी कंपनी विनी आयरन एंड स्टील उद्योग लिमिटेड का पक्ष लेने के लिए साजिश रची और अपने पद का दुरूपयोग किया।
केंद्रीय जांच एजंसी ने विशेष सीबीआइ जज को बताया कि कोड़ा के अलावा, मामले में अन्य आरोपी झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव अशोक कुमार बसु व पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता हैं।
ये सभी राजनीतिज्ञ व लोकसेवक होने की वजह से मामले के गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। वरिष्ठ लोक अभियोजक वीके शर्मा ने अदालत को बताया कि गुप्ता ने जांच समिति की सिफारिशों के संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय को गुमराह किया था और उन दिनों गुप्ता ही जांच समिति के अध्यक्ष थे।
कोड़ा, बसु, गुप्ता, लोकसेवक विपिन बिहारी सिंह और बसंत कुमार भट्टाचार्य, कोलकाता स्थित विनी आयरन एंड स्टील उद्योग के निदेशक वैभव तुलस्यान, चार्टर्ड एकाउंटेंट नवीन कुमार तुलस्यान और कोड़ा के कथित करीबी सहयोगी विजय जोशी बुधवार को अदालत में पेश हुए। इन सभी के खिलाफ समन जारी किया गया था।
आठों आरोपी अदालत में पेश हुए और उनके अधिवक्ताओं ने उनकी ओर से जमानत के अलग-अलग आवेदन प्रस्तुत किए। जमानत का आग्रह करते हुए कोड़ा के वकील ने अदालत को बताया कि जांच समिति वीआइएसयूएल को कोयला ब्लॉक आबंटित करने की सिफारिश पहले ही कर चुकी थी और इससे कोड़ा का कोई लेनादेना नहीं था। उनके वकील ने तर्क दिया कि कोड़ा ने जांच के दौरान सहयोग किया और सीबीआइ ने उन्हें गिरफ्तार नहीं किया था इसलिए उन्हें अब न्यायिक हिरासत में भेजने की कोई जरूरत नहीं है।
अन्य सात आरोपियों की ओर से पेश वकीलों ने इसी तरह तर्क दिया कि उनके मुवक्किलों ने जांच में सहयोग किया और ऐसा कोई आरोप नहीं है कि वे सबूतों से छेड़छाड़ करेंगे या गवाहों को प्रभावित करेंगे।
