जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला के ‘पब्लिक सेफ्टी एक्ट’ (PSA) के तहत हुई गिरफ्तारी पर जम्मू-कश्मीर के सीपीएम नेता यूसुफ तारिगामी ने चिंता जाहिर की है। दिल्ली में अपना इलाज करा रहे तारिगामी ने कहा कि अब्दुल्ला कोई आतंकी नहीं हैं और वे सरकार के इस पहल की निंदा करते हैं। घाटी में एक महीने तक घर में नज़रबंद रहने वाले तारिगामी ने नई दिल्ली में प्रेस को संबोधित करते हुए कहा, “न तो मैं कोई विदेशी नहीं हूं, न फारुख अब्दुल्ला हैं और न ही अन्य नेता कोई आतंकवादी हैं। कश्मीर की हालत कश्मीरियों के चलते खराब नहीं है, बल्कि हम सभी राजनेताओं और राजनीति के चलते है।” तारिगामी घाटी के पहले ऐसे नेता हैं, जिन्होंने नंजरबंदी के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस की है।

कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) के जनरल सेक्रेटरी सीताराम येचुरी ने कहा कि मोहम्मद यूसुफ तारिगामी कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देंगे। इस दौरान तारिगामी ने कहा कि सरकार के फैसले से जम्मू-कश्मीर के लोगों की एकता खंडित हुई है। उन्होंने कहा, “मैं कश्मीर की हालत देखकर सदमे में हूं कि कैसे जम्मू-कश्मीर के नेता जो फैसले संविधान निर्माताओं के साथ बैठकर लिए थे, उसे बदल दिया गया।”

तारिगामी ने आगे कहा, “जम्मू-कश्मीर के नेताओं और लोगों के बीच जो संबंध कड़ी मशक्कत के बाद तैयार किए गए थे, उनपर आज हमला कर दिया गया है। जम्मू-कश्मीर की जनता कुछ नहीं चाहती, वह सिर्फ सरकार के साथ चलना चाहती है, डिबेट और डिस्कशन का एक मौका चाहती है।” गौतलब है कि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि तारिगामी श्रीनगर स्थित अपने घर जाने के लिए स्वतंत्र हैं। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाले तीन जजों बेंच ने कहा कि यदि एम्स के डॉक्टर पूर्व विधायक को फिट करार देते हैं, तो उन्हें वापस घर लौटने के लिए किसी परमिशन की जरूरत नहीं है।