बिहार में शिक्षा माफियाओं का एक और कारनामा सामने आया है। बता दें कि गुरुवार को बिहार के राजगीर कॉलेज का पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी की तीन सदस्यीय एक टीम जांच करने पहुंची तो आनन-फानन में पूज्य तपस्वी श्री जगजीवन जी महाराज कॉलेज( पीटीजेएम) का ही नाम बदलकर राजगीर कॉलेज कर दिया गया। ऐसे में एक कैंपस में दो कॉलेज चलने का मामला जाहिर हुआ है।

राजगीर कॉलेज को मान्यता मिलने का मामला: जांच करने पहुंची विश्व विद्यालय की टीम में प्रो. अनिल कुमार, प्रो. ललन कुमार और डाॅ. संजीत दुबे शामिल थे। उनसे जब इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि विवि की तरफ से वो राजगीर कॉलेज देखने आये हैं। निरीक्षण के बाद वो अपनी रिपोर्ट विश्व विद्यालय को सौंपेंगे। जिससे सत्र 2022-23 के लिए राजगीर कॉलेज को मान्यता मिल सके। जांच टीम को कॉलेजकर्मियों ने बताया कि यहां 24 टीचिंग हैं।

टीम के मुताबिक राजगीर कॉलेज का निरीक्षण किया गया और यहां हो रही पढ़ाई-लिखाई एवं संबंधित लोगों से बातचीत भी की गई। अब इसकी रिपोर्ट यूनिवर्सिटी को दी जायेगी। फिलहाल इस पूरे निरीक्षण में असली खेल तो पुराने कॉलेज पर नए कॉलेज की मान्यता लेने का है।

पीटीजेएम कॉलेज 1979 में स्थापित हुआ था। वहीं जब गुरुवार को यूनिवर्सिटी की टीम जांच करने पहुंची तो टीम के आने से पहले ही कॉलेज के मेन गेट के अलावा सभी जगहों पर पीटीजेएम की जगह राजगीर कॉलेज का बैनर लगा दिया गया।

टीम के जाते ही फिर बदल दिया गया नाम: जांच टीम को पीटीजेएम कॉलेज पूरी तरह राजगीर कॉलेज के रूप दिखा। अजीब तो यह रहा कि जांच दल के जाते ही कॉलेज का नाम फिर से राजगीर से पीटीजेएम कॉलेज कर दिया गया।

इसको लेकर राजगीर कॉलेज के सचिव जनार्दन उपाध्याय ने कहा कि अब इसे राजगीर कॉलेज ही कहिये। उनसे सवाल करने पर कि कई सालों से यह तो पीटीजेएम कॉलेज रहा तो इस पर उन्होंने कहा कि एक ही कैंपस में 2 कॉलेज चलते हैं।