इंडियन एक्सप्रेस के विशेष कार्यक्रम ‘एक्सप्रेस अड्डा’ के दौरान  चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने उमर खालिद, जीएन साईबाबा, स्टेन स्वामी से जुड़े  सवालों के जवाब दिए। सीजेआई से उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई में हो रही देरी को लेकर भी सवाल किया गया। जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि कई मामले का जो मीडिया में दिखाया जाता है उससे वे काफी अलग हो सकते हैं और जज हर मामले को रिकॉर्ड के आधार पर देखते हैं। 

उमर खालिद के सवाल पर क्या बोले सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़? 

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ से पूछा गया कि हम दिल्ली दंगों और भीमा कोरेगांव जैसे मामलों और उमर खालिद की जमानत याचिका को देखते हैं, जिनमें जमानत याचिका लगातार खारिज हो रही है? 

इस सवाल के जवाब में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि मैं आपको कम से कम दर्जन भर राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामले बता सकता हूं (जो  राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण व्यक्तित्वों से जुड़े थे) जिन्हें हमने डील किया है और जमानत दी गई है। मैं बतौर चीफ जस्टिस ऐसे लोगों का नाम नहीं ले लेना चाहता। 

मीडिया के लिए कही ये बात 

सीजेआई ने सवाल के जवाब में आगे कहा,”मीडिया में अक्सर मामले के एक निश्चित पहलू या माहौल को एक तरह से पेश किया जाता है। जबकि जो बेंच मामले पर सुनवाई कर रही होती है (मैं किसी एक मामले का ज़िक्र नहीं कर रहा हूं चाहे वो गलत हो या सही) तब जज मामले से जुड़े रिकॉर्ड को सामने रखते हैं, इस ही हिसाब से फैसला किया जाता है चाहे वो गलत हो या सही हो।

कौन है उमर खालिद?

जेएनयू के छात्र नेता रहे उमर खालिद उस समय सुर्खियों में आए थे जब उन पर तत्कालीन जेएनयूएसयू अध्यक्ष कन्हैया कुमार सहित नौ अन्य छात्रों के साथ देशद्रोह का आरोप लगाया गया था। फिलहाल वह दिल्ली दंगों से जुड़े मामलों में जेल में हैं।

सीजेआई ने और क्या कहा?

इस कार्यक्रम का विषय-आधुनिक भारत में न्यायपालिका की भूमिका (The Role of Judiciary in Modern India) था। इस दौरान सीजेआई से कई महत्वपूर्ण सवाल किए गए। इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के कार्यकारी निदेशक अनंत गोयनका ने सीजेआई से जजों के रिटायरमेंट से जुड़े सवाल पर बातचीत की है।

‘जजों पर भरोसा करें’, CJI डीवाई चंद्रचूड़ बोले- हम यहां डील करने के लिए नहीं हैं

जजों के रिटायरमेंट और लाइफ टाइम के लिए जज बने रहने के सवाल पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि मैं निजी तौर पर यह सोचता हूं कि उम्र सीमा चाहे जो हो, यह एक अलग मुद्दा है, लेकिन रिटायरमेंट होना चाहिए। हमें यह मौका छोड़ना चाहिए कि भविष्य हमारे काम को लेकर यह राय दे कि हमने जो किया है वो कितना सही और कितना नहीं। सीजेआई ने इस बारे में और भी कई बातें कहीं और जजों को लेकर अमेरिकन सिस्टम पर भी अपनी राय दी।