संसद ने बुधवार को नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी जिसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है।

राज्यसभा ने बुधवार को विस्तृत चर्चा के बाद इस विधेयक को पारित कर दिया। सदन ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने के विपक्ष के प्रस्ताव और संशोधनों को खारिज कर दिया। विधेयक के पक्ष में 125 मत पड़े जबकि 105 सदस्यों ने इसके खिलाफ मतदान किया।
लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है।

इससेे पहले इस बिल को लेकर राज्यसभा में चर्चा के दौरान जेपी नड्डा ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान का हवाला देते हुए नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन किया।

उन्होंने कहा कि कई बार क्या होता है कि हम लोग भूल जाते हैं कि हमारी पार्टी का कब और कैसा स्टैंड रहा है और इसी तरीके में कई बार क्योंकि सिर्फ जगह बदल जाती है तो उससे आरग्यूमेंट्स बदल जाते हैं। यह बिल देश के हित में है इसलिए जगह बदलने  से अपने स्टैंड नहीं बदलना चाहिए। नड्डा ने कहा कि मैं कोट करना चाहता हूं मनमोहन सिंह को  उनका बयान है  18 दिसंबर 2003  का इसी राज्यसभा में मनमोहन सिहं ने कहा था कि मैं रिफ्यूजी के मसले को लेकर कुछ कहना चाहता हूं।

देश के बंटवारे के बाद बांग्लादेश जैसे देशों में अल्पसंख्यकों को काफी प्रताड़ना सहन करनी पड़ी है और इन लोगों की मदद के लिए हमारा नजरिया उदार होना चाहिए और इन लोगों को भारत की नागरिकता देने के लिए हमें अधिक उदार होना चाहिए। मनमोहन सिंह ने कहा था कि मैं  उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी से कहना चाहता हूं कि भविष्य में इसके संदर्भ में उचित कदम उठाए जाने चाहिए।