सेंट्रल इन्फोर्मेशन कमीशन (सूचना आयोग) द्वारा आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल को जारी किए गए ‘कारण बताओं नोटिस’ के खिलाफ रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया है और सूचना आयोग के नोटिस को कोर्ट में चुनौती दी है। बता दें कि सूचना आयोग ने रिजर्व बैंक को भेजे एक नोटिस में आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल को निर्देश देते हुए कहा था कि वह बैंक लोन डिफॉल्टर्स की लिस्ट का खुलासा करे। सूचना आयोग के इस नोटिस के बाद राजनैतिक स्तर पर भी खूब बयानबाजी हुई। सूचना आयोग के इस नोटिस के अनुसार, आरबीआई को 26 नवंबर तक अपना जवाब देना था।

अब इकॉनोमिक टाइम्स की एक खबर के अनुसार, सूचना आयोग द्वारा दी गई डेडलाइन खत्म होने से 2 दिन पहले रिजर्व बैंक ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल कर सूचना आयोग के इस नोटिस को चुनौती दी है। इस मामले से वाकिफ लोगों का कहना है कि सूचना आयोग का नोटिस मुख्य सूचना आयुक्त ‘एम.श्रीधर अचार्युलु’ के आदेश पर जारी किया गया था, जो कि बीते 20 नवंबर को रिटायर हो चुके हैं। रिजर्व बैंक द्वारा दाखिल की गई याचिका पर सूचना आयोग के अधिकारियों का कहना है कि ‘उन्हें इस बात की जानकारी है कि आरबीआई ने याचिका दाखिल की है, लेकिन यह याचिका किस आधार पर दाखिल की गई है, इसकी जानकारी नहीं मिल पायी है।’

खबर के अनुसार, संदीप सिंह जादौन नामक व्यक्ति ने सूचना का अधिकार कानून के तहत एक आरटीआई दाखिल कर आरबीआई से बैंक लोन डिफॉल्टर्स की लिस्ट मांगी थी। लेकिन आरबीआई ने यह जानकारी देने में असमर्थता जता दी थी। इस पर सूचना आयोग ने आरबीआई को कारण बताओ नोटिस जारी कर यह जानकारी देने का निर्देश दिया था। पहले यह जानकारी देने के लिए सूचना आयोग ने आरबीआई को 16 नवंबर तक की डेडलाइन दी थी, लेकिन बाद में इस डेडलाइन को बढ़ाकर 26 नवंबर कर दिया गया। सूचना आयोग के इस निर्देश में आरबीआई को अपनी आरटीआई विंग को संशोधित करने और सेक्शन-4 डिस्कलोजर में रिफॉर्म कर समय-समय पर इसे अपडेट करने की बात कही थी।

बता दें कि बीते दिनों आरबीआई और केन्द्र सरकार के बीच भी विवाद की खबरें सामने आयी थीं। आरबीआई ने केन्द्र सरकार पर दखलअंदाजी का आरोप लगाया था। हालांकि केन्द्र सरकार ने इससे इंकार किया था। विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे पर केन्द्र सरकार को घेरने की कोशिश भी की थी। बहरहाल बाद में आरबीआई और केन्द्र सरकार ने आपसी बातचीत से मतभेद दूर कर लिए थे।