भारत और चीन के बीच लद्दाख स्थित एलएसी पर तनाव अपने चरम पर है। हालात यह हैं कि दोनों ही सेनाएं एक-दूसरे पर एलएसी के पास फायरिंग के आरोप लगा रही हैं। अभी यह साफ नहीं है कि सोमवार रात किसकी तरफ से चेतावनी के तौर पर गोलियां चलाई गईं, हालांकि भारतीय सेना ने साफ कर दिया है कि चीनी सेना ने पूर्वी लद्दाख में घुसपैठ की कोशिश की और रोके जाने पर फायरिंग की। इस बीच एक खुफिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि चीन की घुसपैठ सिर्फ पूर्वी लद्दाख तक ही सीमित नहीं रही है। उसने 3500 किमी की सीमा पर तीन जगह- उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में भी अतिक्रमण की कोशिशें कीं।

हिंदुस्तान टाइम्स अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, अफसरों ने कहा है कि एक मौके पर तो चीनी सेना एलएसी में 40 किमी तक अंदर आ गई थी, जिसे बाद में लौटना पड़ा। अधिकारियों ने बताया कि यह चीन की बड़ी नीति है, जिसके जरिए वह भारतीय सेना को बॉर्डर पर अलग-अलग हिस्सों में व्यस्त रखना चाहता है, ताकि बाद में तनाव के दौरान ही वह अचानक किसी गलत हरकत को अंजाम दे सके। हालांकि, अभी भी पूर्वी लद्दाख ही दोनों सेनाओं के बीच टकराव का केंद्र है।

बता दें कि भारत और चीन के बीच पिछले चार महीनों से लद्दाख स्थित एलएसी पर तनाव जारी है। हालांकि, गलवान घाटी में हुई दोनों देशों के सैनिकों की मुठभेड़ के बाद से हालात और तनावपूर्ण हुए हैं। बीते दो महीनों में ही चीन ने घुसपैठ की नई कोशिशें की हैं। एक अफसर ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि पीएलए जुलाई में दो बार अरुणाचल प्रदेश की सीमा में घुस गई। एक मौके पर तो चीनी सेना अंजॉ जिले में 26 किलोमीटर अंदर तक घुस आई थी और तीन से चार दिन तक कैंप स्थापित कर के रुकी थी। वहीं दूसरे मौके पर पीएलए अरुणाचल के हदीगरा पास तक 40 किलोमीटर अंदर आ गई थी। हालांकि, बाद में उसे लौटना पड़ा।

इसके अलावा अगस्त की शुरुआत में दोनों सेनाओं के बीच सिक्किम के जेलेप ला इलाके में भी टकराव हुआ था। इसमें पीएलए ने ऊंची चोटी पर पहुंचकर भारतीय सेना की तरफ बड़ी चट्टानें लुढ़काई थीं। वरिष्ठ अधिकारियों के दखल के बाद तनाव कुछ कम हुआ था। हालांकि, जॉइंट मीटिंग के दौरान चीन ने जेलेप ला इलाके पर अपना दावा कर दिया। एक सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि चीन का यह नया दावा परेशान करने वाला है, क्योंकि सिक्किम के पास का इलाका विवादित नहीं रहा।

मध्य अगस्त में चीनी पीएलए को उत्तराखंड के पास तंजुन ला पास पर देखा गया था। यह भी इस साल पहली बार था, जब चीन यहां पहुंचा हो। एक अफसर ने कहा कि पीएलए कूटनीतिक फायदे के लिए कुछ अहम ऊंची जगहों को घेरने की कोशिश कर रहा है। साथ ही इन जगहों पर अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर को भी तेजी से बढ़ाया जा रहा है। बताया गया है कि सेना इन जगहों पर ब्रिगेड और डिवीजन स्तर पर बातचीत में जुटी है।