भारत और चीन के बीच लद्दाख में तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा। खासकर तीन लोकेशन- गलवान घाटी, पैंगोंग सो और हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में। इस बीच चीन ने अब भारत के सामने एलएसी पर ही चौथा फ्रंट भी खोल दिया है। बताया गया है कि चीनी सेना ने उत्तर में डेपसांग प्लेन्स के इलाके को पार कर लिया है। यह जगह कूटनीतिक तौर पर काफी अहम है, क्योंकि दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) एयरस्ट्रिप से इसकी दूरी महज 30 किलोमीटर ही है। माना जा रहा है कि चीन इसके जरिए एलएसी को विवादित जगह से पश्चिम की ओर धकेलना चाहता है।
सूत्रों के मुताबिक, चीनी सेना ने डेपसांग प्लेन्स के Y-जंक्शन या बॉटलनेक एरिया में भारी संख्या में सेना तैनात कर दी है। इनमें जवानों के साथ भारी वाहन और विशेष सैन्य उपकरण भी शामिल हैं। बॉटलनेक डेपसांग प्लेन्स में वह छोटा दर्रा है, जहां दोनों तरफ पहाड़ियों की वजह से किसी वाहन का आना-जाना भी मुश्किल है। अप्रैल 2013 में भी चीन ने इस जगह पर टेंट लगा लिए थे। हालांकि, तब दोनों देशों की सेनाओं के बीच 3 हफ्ते तक आमना-सामना जारी रहा था और राजनयिक स्तर पर हुई बातचीत के बाद ही दोनों सेनाएं वापस लौटी थीं।
बॉटलनेक का इलाका एलएसी के 18 किमी अंदर भारत की तरफ पड़ता है। चीनी मानते हैं कि एलएसी यहां पर 5 किमी पश्चिम में है। यानी पूरा बॉटलनेक का इलाका चीन का है। यह क्षेत्र लद्दाख के छोटे से शहर बुर्त्से के उत्तर-पूर्व में 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बुर्त्से 255 किलोमीटर लंबी दार्बुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी रोड पर ही पड़ता है और यहां भारतीय सेना का एक पोस्ट भी मौजूद है।
जब भारतीय सेना के मीडिया विंग से इस बारे में जानकारी मांगी गई, तो एक अफसर ने कहा कि इस रिपोर्ट की न तो पुष्टि की जा सकती है और न ही नकारा जा सकता है।
सीमा पर लगातार बढ़ रहे हैं चीन की घुसपैठ के मामले
2013 में डेपसांग से चीनी सेना के लौटने के बाद भारत ने बॉटलनेक एरिया के पास ही एक स्थानी पैट्रोल यूनिट तैनात कर दी थी, ताकि किसी भी चीनी घुसपैठ की घटना को रोका जा सके। हालांकि, इसके बावजूद चीन का एक गश्ती दल सितंबर 2015 में बुर्त्से से 1.5 किलोमीटर दूर एक क्षेत्र तक पहुंचने में सफल हो गया था। गौरतलब है कि चीन की तरफ से एलएसी पर घुसपैठ की घटनाएं साल-दर-साल बढ़ती जा रही हैं। 2019 में चीन की तरफ से 157 बार घुसपैठ हुई, जबकि 2018 में 83 बार और 2017 में यह 75 बार हुआ था।