चीन और भारत के बीच लद्दाख स्थित एलएसी पर पिछले एक साल से भी ज्यादा समय से तनाव की स्थिति बरकरार है। दोनों ही पक्षों ने अपनी तरफ बड़ी संख्या में सैनिक जुटाकर चुनौतियां खड़ी की हैं। इस बीच भारत और चीन सीमाई इलाकों में तेजी से कूटनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण इन्फ्रास्ट्रक्चर भी खड़ा करने में जुटे हैं। खासकर चीन ने तो किसी भी अनहोनी से निपटने के लिए शिनजियांग से लेकर तिब्बत तक तीन नए एयरबेसों का निर्माण तक शुरू कर दिया। इसके अलावा भारत को घेरने के लिए वह पांच और एयरबेस को मजबूत कर रहा है।
सीमाई इलाकों पर वायुसेना को मजबूत कर रहा चीन: भारत के साथ लगातार सीमा पर तनाव की स्थितियों के मद्देनजर चीन ने 2017 के डोकलाम विवाद के बाद से ही अपने जमीन आधारित एयर डिफेंस सिस्टम, हेलिपोर्ट और रेल लाइनों को मजबूत करना शुरू कर दिया था। अब इसी कड़ी में चीनी सेना अपने एयरबेसों को भी जबरदस्त मजबूती देने में जुटी है। यह बातें सामने आई हैं द ड्राइव/द वॉरजोन नाम की पत्रिका से, जिसने सैन्य तैयारियों और सैटेलाइट तस्वीरों के जरिए कूटनीतिक स्थिति परखने वाले तीन OSINT डेट्रेस्फा, सिम टैक और द इंटेल लैब की रिपोर्ट छापी है।
चीन पर दी गई रिपोर्ट में क्या?: इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन इस वक्त उसी रफ्तार से निर्माण कार्य कर रहा है, जिस रफ्तार से 2010 में उसने दक्षिण चीन सागर में इन्फ्रास्ट्रक्चर स्थापित कर लिए थे। बताया गया है कि शिनजियांग क्षेत्र में चीन तश्कुरगान के पास नया एयरबेस बना रहा है, इसके अलावा काशगार और होतान शहर के पास एयरबेस और एयरपोर्ट्स को और तेजी से विकसित कर रहा है। बता दें कि होतान वह इलाका है, जो अक्साई चिन और लद्दाख को बांटता है।
वॉरजोन में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, होतान में चीनी सेना की तरफ से किए जा रहे बदलाव छोटे-मोटे न होकर बड़े स्तर के हैं। इधर अरुणाचल प्रदेश के पास चीनी सेना ने चेंगदू बांग्दा के नागरिक एयरपोर्ट को बदलने का काम भी शुरू कर दिया है। बताया गया है कि ये एयरपोर्ट, जिसका रन-वे पहले ही चीन में सबसे बड़ा है, उसे और बढ़ाने के साथ एयरपोर्ट के करीब वाले पहाड़ में अंडरग्राउंड फैसिलिटी भी तैयार की जा रही है। लंबे रनवे की जरूरत इसलिए भी बताई गई है, क्योंकि ये एयरपोर्ट 14 हजार फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर है और यहां फाइटर जेट के इंजन पूरी तरह काम नहीं करते।
सिक्किम-अरुणाचल से नेपाल तक चीन की तैयारी: इतना ही नहीं सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के पास ल्हासा एयरपोर्ट चीनी क्षेत्र का माल-ढुलाई का अहम केंद्र है। इस जगह पर 24 शेल्टर्स के साथ अंडरग्राउंड फैसिलिटी तैयार की जा रही हैं। नेपाल बॉर्डर के पास भी चीन शिंगात्से टिंगरी में एक दोहरे इस्तेमाल वाला एयरपोर्ट तैयार कर रहा है। यह जगह डोकलाम से महज 230 किमी ही दूर है। इतना ही नहीं सैटेलाइट तस्वीरों के हिसाब से तो चीन ने तिब्बत के पास नगारी गुनसा और अन्य सीमाई क्षेत्रों में जमीन से हवा में मार करने की क्षमता वाली मिसाइलें भी तैनात कर ली हैं।