भारत और चीन के बीच लद्दाख स्थित एलएसी पर पिछले पांच महीने से तनाव जारी है। इस दौरान भारतीय बाजारों में चीनी उत्पादों की बिक्री और आयात में कमी भी देखी गई। भारत में पनपी चीन विरोधी मानसिकता के बीच मोदी सरकार ने नए निवेशों को भारत लाने के लिए हाल ही में ताईवान से करीबी बढ़ाई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत सीमा विवाद के बीच चीन को दरकिनार कर ताईवान से व्यापार समझौते पर चर्चा कर सकता है। हालांकि, इससे पहले कि सरकार इस तरफ कोई कदम उठा पाती, चीन ने इस पर आपत्ति जता दी।

बता दें कि ताईवान से किसी तरह के व्यापार समझौते की बात की अब तक आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं हुई है। इसके बावजूद चीन के विदेश मंत्रालय ने इस मामले में कूदते हुए कहा है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बीच एक-चीन (वन-चाइना) के सिद्धांत की मान्यता है। इसमें भारत भी शामिल है। यही सिद्धांत चीन के दूसरे देशों से संबंध स्थापित करने का राजनीतिक आधार भी है। इसलिए हम ताईवान से ऐसे किसी भी देश के आधिकारिक समझौते का विरोध करते हैं, जिनके चीन से राजनयिक रिश्ते हैं।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की तरफ से आयोजित होने वाले मालाबार नौसेना युद्धाभ्यास पर भी बयान दिया। उन्होंने कहा कि चीन उम्मीद करता है कि सैन्य सहयोग क्षेत्र में शांति और स्थायित्व बढ़ाने में मदद करेगा। बता दें कि भारत ने हाल ही में मालाबार युद्धाभ्यास में ऑस्ट्रेलिया को शामिल होने का न्योता दिया है। अमेरिका और जापान पहले ही इस युद्धाभ्यास का हिस्सा रहे हैं। ऐसे में चीन को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपने खिलाफ ‘क्वाड’ गठबंधन के साथ खड़े होने का डर है।

ताईवान मुद्दे पर अमेरिका को भी चेता चुका है चीन: ताईवान के मुद्दे पर चीन कितना संवेदनशील है, इसका पता इसी बात से चलता है कि पिछले महीने पहले जब अमेरिका के अफसर ताईवान पहुंचे थे, तब चीन ने विरोध दर्ज कराते हुए अपने फाइटर जेट्स ताईवान के पास भेज दिए थे। साथ ही अमेरिका और ताईवान के बीच हुए हथियार समझौतों का भी विरोध किया था। हालांकि, ताईवान ने चीन को अनसुना करते हुए डील को आगे बढ़ाया था।

इसके अलावा हाल ही में अमेरिका ने तिब्बत पर भी अपना ध्यान केंद्रित किया है। इसी सिलसिले में अमेरिकी सरकार ने रॉबर्ट डेस्ट्रो को तिब्बती मामलों के विशेष समन्वयक के तौर पर नियुक्त किया है। डेस्ट्रो चीन की कम्युनिस्ट सरकार और दलाई लामा के बीच विवादों का हल खोजने की कोशिश करेंगे। हालांकि, चीन ने इस पर भी राजनयिक स्तर पर विरोध जारी किया है।