मध्यप्रदेश के रतलाम में जिला प्रशासन स्वतंत्रता दिवस पर एक स्कूल में पाकिस्तान का झंडा लहराए जाने से जुड़े मामले की जांच कर रहा है। दावा किया गया है कि स्वतंत्रता दिवस पर रतलाम के एक स्कूल में नाटक के दौरान छात्रों को पाकिस्तान का राष्ट्रीय ध्वज थामने के लिए मजबूर किया गया था। बुधवार को एबीवीपी ने सड़कों पर उतरकर प्री स्कूल के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की और प्रदर्शन किया। जिसके बाद स्कूल प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
जिला कलेक्टर राजेश बाथम ने कहा कि वे मामले की जांच कर रहे हैं, जबकि रतलाम की बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) ने जिला शिक्षा अधिकारी को एक नोटिस जारी कर स्कूल की मान्यता रद्द करने की मांग की है।
क्या था नाटक, क्यों हुआ विवाद?
जिले के एसडीएम आरएस मंडलोई ने कहा कि एबीवीपी ने स्कूल में बच्चों द्वारा पाकिस्तानी झंडा थामे जाने के खिलाफ शिकायत की थी। इस घटना की जांच के लिए एक कमेटी बनाई गई है और निष्पक्ष जांच की जाएगी।
स्कूल के निदेशक दीपक पंथ ने कहा कि नाटक स्वतंत्रता संग्राम पर आधारित था। झंडों का इस्तेमाल भारत और पाकिस्तान के विभाजन के दृश्य को दर्शाने के लिए किया गया था। इसमें दोनों देशों के झंडे थे। हमारा इरादा पाकिस्तानी झंडे को बढ़ावा देना नहीं था। किसी ने एक वीडियो बनाया जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। हमारे पास स्क्रिप्ट है। हमने बच्चों को स्वतंत्रता की कहानी बताने के लिए एक नाटक का आयोजन किया, हमने इसके लिए माफी भी मांगी है।
स्कूल की अधिकारी जसलीन सलूजा ने सोशल मीडिया पर एक बयान जारी कर घटना के बारे में बताया। सलूजा ने कहा, “इस स्वतंत्रता दिवस पर बच्चों ने एकता, विविधता और स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किए गए बलिदान और विभाजन के दौरान भारत माता के दर्द को दर्शाते हुए एक लघु नाटक पेश किया था । यह नाटक यह भी दर्शाता है कि हमारा देश दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते देशों में से एक है और देश के लोगों के बीच शांति और सद्भाव है। लेकिन अगर कार्यक्रम के किसी भी हिस्से से किसी व्यक्ति या समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंची है तो हम इसके लिए गहरा खेद व्यक्त करते हैं।”
रतलाम के वरिष्ठ एबीवीपी कार्यकर्ता सत्यम दवे ने कहा, “छात्रों को पाकिस्तानी झंडा दिया गया। इसके बावजूद जिला प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। स्कूल प्रशासन का दावा है कि झंडा शांति का प्रतीक है, जो निंदनीय है।”