Rajasthan School Collapsed: राजस्थान के झालावाड़ जिले में स्कूल की छत गिरने से हुई सात बच्चों की मौत ने पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया। 350 घरों वाला गांव शोक में डूबा हुआ है। शनिवार की बरसाती सुबह 7 बजे गांव में अपने खोए हुए बच्चों का अंतिम संस्कार किया गया। इसमें राज्य सरकार के अधिकारी, राजनेता और मीडियाकर्मी शामिल हुए।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस हादसे के बाद पांच टीचर्स को सस्पेंड कर दिया गया है और उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई है। राजस्थान की भजनलाल सरकार ने यह भी घोषणा की है कि स्कूल को फिर से बनाया जाएगा और पीड़ितों के परिजनों को 10 लाख का मुआवजा भी दिया जाएगा। कुंती देवी अपने घर में दुख और दर्द से कराह रही हैं। उनके एक पड़ोसी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘उसके दोनों बच्चों की बहुत ही बुरी मौत हो गई। 8 साल की मीना सातवीं क्लास की स्टूडेंट थी और 6 साल का कान्हा पहली क्लास में पढ़ता था। उनके शवों को मलबे से घसीटकर बाहर निकालना पड़ा। घटना के बाद से उसका पति मोहन बोल नहीं पा रहा है।’

हरीश की दादी और मां अभी भी सदमें में

स्कूल के सामने एक घर में हरीश की दादी और मां अभी भी गहरे सदमें में ही हैं। उनके एक रिश्तेदार ने कहा कि छत गिरने की खबर सुनकर तो दादी बेहोश हो गईं। आठ साल के हरीश की इस हादसे में मौत हो गई और उसके छोटे भाई का अभी भी इलाज चल रहा है। हरीश की चाची ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘हमने एक जोरदार धमाका सुना और स्कूल की ओर दौड़े। चारों तरफ अफरा-तफरी मची हुई थी और हमें समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें। फिर दूसरे गांव वाले आए और मलबा हटाने में मदद की। मैं भगवान की शुक्रगुजार हूं कि कम से कम एक बच्चा तो सुरक्षित है।’

राजस्थान सरकार ने हादसे के बाद सरकारी भवनों की समीक्षा के लिए समितियों का गठन किया है। झालावाड़ कलेक्टर अजय सिंह राठौर ने कहा कि एक जांच समिति घटना की जांच कर रही है। उन्होंने कहा कि नए स्कूल के निर्माण तक स्कूल को एक सुरक्षित जगह पर ट्रांसफर कर दिया जाएगा। लेकिन पीड़ितों के लिए ये शब्द सांत्वना नहीं देते हैं।

स्कूल हादसे में जान गंवाने वाले बच्चों के परिजनों का दुख सुन पसीज जाएगा दिल

बेटे की तस्वीर मां के जेहन से नहीं निकल पा रही

पटवारी बाई अपने बेटे के टूटे हुए सिर की तस्वीर अपने जेहन से निकाल नहीं पा रही हैं। उनके 10 साल के बेटे कुंदन को अस्पताल ले जाते ही मृत घोषित कर दिया गया। उसकी बहन लक्ष्मी स्कूल के गेट पर बैठी थी जब छत नीचे की ओर खिसकने लगी। पटवारी बाई रोते हुए कहती है, ‘वह तो बाहर निकल गई, लेकिन उसका भाई नहीं निकल सका।’

हादसे से उबर नहीं पा रहे बच्चे

इस हादसे में जो लोग बच गए वो अभी तक इससे उबर नहीं पा रहे हैं। 14 साल की वर्षा ने याद करते हुए कहा, ‘हमने टीचर्स से बाहर जाने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने हमें डांटा और अंदर ही रहने को कहा। अचानक, इमारत ढह गई, लेकिन मैं आंगन में थी, इसलिए मैं बाहर जा सकी। मैं दूसरों को सचेत करने के लिए दौड़ी।’ चिंका और अंजना किसी तरह भागकर निकल गईं, लेकिन इस हादसे ने उन्हें गहरे जख्म दिए हैं। उसके पिता उसे वापस घर ले जाने से डर रहे हैं।

मैं स्कूल नहीं जाऊंगा – राज किरण

चिंका के पिता बद्रीलाल ने कहा, ‘वह बार-बार कहती है, ‘ऐसा कैसे हो सकता है’। जब तक वहां हालात ठीक नहीं हो जाते, मैं अपनी बेटी को वापस गांव नहीं ले जाऊंगा। वरना वह बच नहीं पाएगी।’ सीएचसी से कुछ ही दूरी पर राज किरण भी स्कूल जाने से इनकार कर रहा है। उसने कहा, ‘अगर मैं कभी वापस गया, तो मुझे आवाजें सुनाई देंगी और सहपाठियों के चेहरे दिखाई देंगे। मैं अपनी पढ़ाई छोड़ दूंगा, लेकिन वापस नहीं जाऊंगा। स्कूल तो कहीं और ही होना चाहिए।’ सीएम भजनलाल ने जर्जर स्कूलों और आंगनवाड़ियों के मुद्दे पर ली समीक्षा बैठक