बाल श्रम कानून में संशोधन के प्रस्ताव को मंत्रिमंडल ने बुधवार को मंजूरी दी। अब बच्चों को सिर्फ जोखिम रहित पारिवारिक उपक्रम, टेलीविजन सीरियल, फिल्म, विज्ञापन और खेल की गतिविधियों (सर्कस को छोड़कर) से जुड़े कामों में ही रखा जा सकता है। इसके साथ एक शर्त है कि बच्चों से ये काम स्कूल की अवधि के बाद ही कराए जाएंगे। सरकार द्वारा जारी बयान में कहा गया कि किशोर की नई परिभाषा भी पेश की गई है ताकि जोखिमपूर्ण रोजगार में 14-18 साल के बच्चों की नियुक्ति पर प्रतिबंध लगाया जा सके।

श्रम कानून (प्रतिबंध एवं नियमन) अधिनियम में संशोधन के तहत हालांकि माता-पिता या अभिभावकों के लिए दंड प्रावधानों को उदार बना दिया गया है।

मौजूदा कानून में उन्हें अन्य नियोक्ता के बराबर ही सजा दी जाती थी। संशोधन विधेयक को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी जिसके तहत माता-पिता या अभिभावकों के लिए पहली बार अपराध के लिए कोई सजा नहीं है जबकि दूसरे या इसके बाद के अपराध में अधिकतम 10,000 रुपए की सजा दी जाएगी। पहले अपराध में नियोक्ता पर जुर्माना ढाई गुना बढ़ाकर अब 50,000 रुपए कर दिया गया है जो फिलहाल 20,000 रुपए है।

कानून तोड़कर किसी बच्चे या किशोर-किशोरी नियुक्त करने के दूसरे अपराध में 6-24 महीने की सजा के प्रावधान को बढ़ा कर 12-36 महीने तक कर दिया गया है। मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद सरकार संसद में श्रम कानून (निषेध एवं नियमन) विधेयक 2012 में आधिकारिक संशोधन को आगे बढ़ाएगी।

इस बीच बाल श्रम से जुड़े कार्यकर्ता नियमों को हल्का बनाने का यह कहते हुए विरोध कर रहे हैं कि इससे बाल श्रम को बढ़ावा मिलेगा। इसके विपरीत कारोबार से जुड़े लोगों का मानना है कि बच्चों को कुछ पारंपरिक कलाओं में कम उम्र में ही प्रशिक्षित करने की जरूरत होती है नहीं तो वे बुनाई या कढ़ाई जैसे आवश्यक कौशल नहीं सीख पाएंगे।

रोजगार के प्रतिबंध की उम्र को बच्चों के मुक्त व अनिवार्य शिक्षा अधिनियम, 2009 के तहत तय उम्र के प्रावधानों के साथ जोड़ा गया है। हालांकि ऐसे मामलों में छूट प्रदान की गई है जिसमें बच्चे अपने परिवार या पारिवारिक उद्यमों में मदद कर सकते हैं। शर्त यह है कि ऐसे उद्यम जोखिमपूर्ण व्यवसाय से न जुड़े हों। एक अन्य शर्त रखी गई है कि वे स्कूल के समय के बाद या छुट्टियों के दौरान काम पर रखे जा सकते हैं।

इसके अलावा बच्चों के किसी दृश्य-श्रव्य मनोरंजन उद्योग में कलाकार के तौर पर काम करने की भी छूट प्रदान की गई है जिसमें विज्ञापन, फिल्म, टेलीविजन सीरियल या सर्कस को छोड़कर अन्य मनोरंजन या खेल की गतिविधियां शामिल हैं। यह छूट भी सशर्त है और इसमें तय सुरक्षा पहल लागू करना अनिवार्य है।

एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि बाल रोजगार पर कुल प्रतिबंध को देखते हुए देश के सामाजिक ताने-बाने और सामाजिक आर्थिक स्थितियों को भी ध्यान में रखना उचित होगा। संशोधनों को उचित बताते हुए इसमें कहा गया, ‘बहुत से परिवारों में बच्चे कृषि, शिल्प जैसे पेशों में अपने माता-पिता की मदद करते हैं और उनकी मदद करते हुए बच्चे भी इन पेशों की बारीकियां सीखते हैं।’

आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘इसलिए बच्चे की शिक्षा की जरूरत ओर देश की वास्तविक सामाजिक-आर्थिक स्थिति और सामाजिक ताने-बाने की वास्तविकता के बीच संतुलन बिठाते हुए मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है कि बच्चा स्कूल की अवधि के बाद या छुट्टियों के दौरान जोखिम रहित पेशे या प्रक्रिया में अपने परिवार या पारिवारिक उद्यमों में मदद कर सकता है।’

बाल श्रम (निषेध एवं नियमन) कानून में किशोर की एक नई परिभाषा भी जोड़ने का प्रस्ताव है जिसके तहत (14 से 18 साल की उम्र) के किशोर-किशोरियों को जोखिम वाले पेशे और काम में लगाने पर प्रतिबंध होगा। इसमें कहा गया, ‘इन प्रावधानों की बच्चों को ऐसे रोजगार से सुरक्षा प्रदान करने में बड़ी भूमिका होगी जो उनकी उम्र के अनुकूल नहीं हैं।’