प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 73वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर चीफ ऑफ डिफेन्स (सीडीएस) पद का एलान किया है। पीएम ने लाल किले से अपने संबोधन के दौरान कहा कि तीनों सेनाओं का एक प्रमुख नियुक्त किया जाएगा। मालूम हो कि बीते लंबे समय से इसकी मांग की जा रही थी। पीएम के इस एलान के बाद हम सभी के मन में एक सवाल खड़ा होता है कि क्या नए चीफ ऑफ डिफेन्स (सीडीएस) और नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (एनएसए) अजीत डोभाल में हितों का टकराव होगा? दोनों पदों की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए क्या भूमिका होगी? मौजूदा व्यवस्था के मुताबिक राष्ट्रीय सुरक्षा की जवाबदेही एनएसए के जिम्मे है। लेकिन अगर सीडीएस की नियुक्ति होने पर राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर उनकी भी जवाबदेही होगी।
अब सवाल यह है कि अगर दोनों की जिम्मेदारी राष्ट्रीय सुरक्षा पर जवाबदेही की होगी तो किस पद को ज्यादा तवोज्जों दी जाएगी और किस की सलाह को पहले सुना और माना जाएगा। अगर ऐसा होता है तो दोनों ही पदों पर ‘राजनीतिक प्रभाव’ पड़ सकता है। हितों के टकराव की स्थिति से बचने के लिए सरकारों को दोनों की कार्यशाली को इस तरह बैंलेंस करना होगा जिससे दोनों पदों पर बैठे लोग आपसी तालमेल के साथ काम कर सके।
हालांकि किसे कितनी पॉवर दी जाएगी यह तो सीडीएस को दी जाने वाले रोल पर निर्भर करेगा। कारगिल रिव्यू कमेटी ने जो रिपोर्ट सौंपी थी उसमें कहा गया था कि सीडीएस सैन्य मामलों में सरकार के इकलौते सलाहाकार होंगे। अगर ऐसा है तो फिर रक्षा सचिव की क्या भूमिका रहेगी इस पर भी विचार करना होगा। हालांकि सरकार अन्य देशों के मॉडल को अपनाकर इस विपरीत परिस्थिति से खुद को हमेशा के लिए बहार निकाल सकती है।
[bc_video video_id=”6073201066001″ account_id=”5798671092001″ player_id=”JZkm7IO4g3″ embed=”in-page” padding_top=”56%” autoplay=”” min_width=”0px” max_width=”640px” width=”100%” height=”100%”]
बहरहाल पीएम मोदी ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ पद का एलान कर एक एतिहासिक निर्णय लिया है। अगर इसे सही दिशा में आगे बढ़ा गया तो ये भारत की युद्धक और पॉवर प्रोजेक्शन क्षमताओं को पूरी तरह से बदल सकता है। तीनों सेनाओं के किसी अनुभवी और वरिष्ठ अधिकारी को इस अहम पद की जिम्मेदारी दी जा सकती है। इसके लिए मौजूदा आर्मी चीफ बिपिन रावत के नाम की सबसे ज्यादा चर्चा है। क्योंकि उनका कार्यकाल इस साल 31 दिसंबर को पूरा हो रहा है।
