Chhattisgarh News: बरसात के मौसम में सांप- बिच्छु जैसे जीव जंतु जमीन से बाहर आने शुरू हो जाते हैं। सूखी जगह की तलाश में यह अक्सर घरों में घुसते हैं। जिसकी वजह से स्नेक बाइट के मामले भी बढ़ जाते हैं। ऐसे में ग्रामीण इलाकों में जागरुकता के अभाव में वहां के लोग आज भी अस्पताल की जगह झाड़ फूंक पर ज्यादा भरोसा जताते हैं। जिस कारण सर्पदंश से मौत के आंकड़े लगातार बढ़ते जा रहे हैं। कुछ ऐसा ही मामला छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के भरुआमुड़ा गांव से सामने आया है। यहां अपने घर के अंदर सो रहे तीन साल के आशीष को सांप ने डस लिया। जब परिवार को आशीष को सांप के काटने के बारे में पता चला तो उन्होंने सांप को बोतल में बंद कर लिया।
आशीष को अस्पताल ले जाया गया जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। बेटे की मौत से आहत आशीष के पिता लाल बहादुर अपने बेटे की मौत को स्वीकार नहीं कर पा रहे थे। उनके मुंह से सिर्फ इतना ही निकला- ”मेरा बेटा जिंदा है।” बच्चे के परिजनों ने बच्चे के जिंदा होने की आस में कई घंटों तक सांप को बंधक बनाकर रखा और तांत्रिक की तलाश में जुटे रहे। डॉक्टर्स के काफी समझाने के बाद परिजनों ने बच्चे का पोस्टमार्टम कराया और फिर परिजनों ने सांप को भी छोड़ दिया।
सूरजपुर के भरुआमुड़ा गांव के आशीष नाम के तीन साल के मासूम को घर पर एक विषैले सांप ने काट लिया था, जिसके बाद बच्चे को जिला अस्पताल लाया गया, जहां इलाज के दौरान बच्चे की मौत हो गई। वहीं पिता बच्चे के जिंदा होने की आस में तांत्रिक की तलाश करने लगे और सांप को भी बंधक बनाकर रख लिया। डॉक्टरों के समझाने और बच्चे की मौत की पुष्टि के बाद परिजनों ने शव का पोस्टमार्टम करवाया।
डॉक्टर्स द्वारा बच्चे को मृत घोषित करने के बाद भी पिता को भरोसा नहीं था कि उनका बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहा। बच्चे के पिता लाल बहादुर का कहना है कि सांप काटने से मौत के कुछ घंटों बाद भी जिंदा होने की संभावना होती है। मैं इसी आस में तांत्रिक की तलाश करता रहा, लेकिन तांत्रिक नहीं मिला।
डॉक्टर आर एस सिंह सीएमएचओ सूरजपुर ने बताया कि अस्पताल में लाए गए तीन साल के मासूम के शरीर में जहर पूरी तरह फैल चुका था। इलाज के दौरान बच्चे की मौत हो गई, परिजनों को समझाकर शव का पोस्टमार्टम कराया गया है। सीएमएचओ ने कहा कि जिले के अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में एंटी वेनम वैक्सीन उपलब्ध है। ऐसे में झाड़ फूंक से दूर रहने की गांव वालों से अपील की जाती है।
स्नेक बाइट से बचने जानिए क्या सावधानी बरतें-
बरसात के मौसम में स्नेक बाइट का खतरा बना रहता है। ज्यादातर सांप पैरों में पंजे के पास ही काटते हैं। 70 फीसदी केस स्नेक बाइट के मामले पैर के निचले हिस्से में ही सामने आए हैं, क्योंकि सांप का यहां पर डसना आसान होता है, इसलिए लंबे जूते पहनने के कई बाद जान बचाई जा सकती है। सुबह या अंधेरे में सांप शिकार की तलाश में निकलते हैं। ऐसे में अंधेरे में सांप के काटने के चांस ज्यादा रहते हैं, इसलिए अलसुबह और शाम को अंधेरे में निकलें तो आपने साथ टॉर्च और लाठी लेकर निकलें।