छत्तीसगढ़ की भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार में मंत्री और वरिष्ठ पार्टी नेता बृजमोहन अग्रवाल की पत्नी सविता अग्रवाल और पुत्र 4.12 एकड़ सरकारी वन भूमि खरीद कर रिसॉर्ट बनवा रहे हैं। ये जमीन सितंबर 2009 में खरीदी गई थी। रमन सिंह सरकार के कई अधिकारियों ने इस खरीद-बेच पर सवाल उठाए, यहां तक कि हाल ही में 30 जून को भी इस पर आपत्ति जताई गई लेकिन सविता अग्रवाल के पति के मंत्रालय ने लिखित रूप में कहा कि इस मामले में “कोई कार्रवाई करना संभव नहीं।” इंडियन एक्सप्रेस को मिले दस्तावेज के अनुसार
बृजमोहन अग्रवाल 1990 से ही रायपुर के विधायक हैं। वो इस समय राज्य के कृषि, जल संसाधन और धार्मिक ट्रस्ट मंत्री हैं। जब उनकी पत्नी ने जमीन खरीदी थी तो वो शिक्षा, लोक निर्माण, संसदीय कार्य, पर्यटन और संस्कृति मंत्री थे। सविता अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ के महासमंद जिले के सीरपुर में जो जमीन खरीदी है उस पर श्याम वाटिका नामक रिसॉर्ट बनाया जा रहा है। उनके पति के मंत्रालय ने इस इलाके को विशेष पर्यटक क्षेत्र के रूप में चिह्नित किया है। इस प्रोजेक्ट के लिए अग्रवाल की पत्नी के अलावा बेटे ने भी जमीन खरीदी है। आदित्य सृजन प्राइवेट लिमिटेड और पुरबासा वाणिज्य प्राइवेट लिमिटेड ने इसी प्रोजेक्ट के लिए जमीन खरीदी है। कंपनी रिजस्ट्रार के दस्तावेज के मुताबिक आदित्य सृजन के डायरेक्टर सविता अग्रवाल और अभिषेक अग्रवाल हैं और पुरबासा वाणिज्य के एक डायरेक्टर अभिषेक अग्रवाल हैं।
दस्तावेज के अनुसार दो मार्च 1994 को स्थानीय झलकी गांव के पांच अन्य किसानों के साथ ही विष्णु राम साहू ने अपनी 4.12 एकड़ जमीन जल संसाधन मंत्रालय को “दानपत्र” के रूप में दे दी। “दानपत्र” व्यवस्था के तहत कोई व्यक्ति अपनी जमीन सरकार को सार्वजनिक हित में अपनी जमीन “दान” कर सकता है। कुछ ही समय बाद करीब 61.729 एकड़ के भूभाग के इस अंश को वन विभाग को सौंप दिया गया। दस्तावेज के अनुसार केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय ने जमीन के इस स्थानांतरण को दो मई 1994 को प्राथमिक मंजूरी दी थी। करीब नौ साल बाद इस जमीन पर 22.90 लाख रुपये खर्च करके हरित कार्य करवाए गए। जमीन पर पशुओं से बचने के लिए खंदकें भी बनवाई गईं। केंद्रीय मंत्रालय ने 17 दिसंबर 2003 को जमीन के स्थानांतरण को अंतिम मंजूरी दे दी। इंडियन एक्सप्रेस के पास मौजूद जमीन रजिस्ट्री रिकॉर्ड के अनुसार सरिता अग्रवाल ने खसरा संख्या 1.38, 1.37 और 1.37 की कुल 4.12 एकड़ जमीन 12 सितंबर 2009 को पांच लाख 30 हजार 600 रुपये में खरीदी।
साल 2013 में बृजमोहन अग्रवाल ने जब चुनाव आयोग को हलफनामा दिया तो उसमें इस जमीन का जिक्र अपनी पत्ती की संपत्ति के रूप में किया था। इंडियन एक्सप्रेस को मिले दस्तावेज के अनुसार महासमंद के कलेक्टर, रायपुर के कमिश्नर, वन एवं जल विभागों के अन्य अधिकारी इस बात पर एकमत रहे हैं कि ये जमीन सरकार के पास होनी चाहिए थे लेकिन “दस्तावेजी ढिलाई” के चलते ये विष्णु राम के नाम पर रह गई और जिसने इसे मंत्री की पत्नी को बेच दी। मार्च 2015 में ललित चंद्रनाहू नामक किसान मंजदूर संघ के नेता महासमंद जिल ेके कलेक्टर उमेश कुमार अग्रवाल और रायपुर के कमिशनर अशोक अग्रवाल को इस बारे में पत्र लिखा कि ये जमीन सरकार को स्थानांतरित की गई थी लेकिन राजस्व विभाग के दस्तावेज में इसका जिक्र नहीं है। अगस्त 2016 में ललित ने दूसरी शिकायत की और बताया कि ये जमीन सविता अग्रवाल ने खरीदी है। इस शिकायत के बाद कलेक्टर और कमिश्नर ने वन एवं जल विभाग से इस बारे में लिखित जवाब मांगा। विभाग ने करीब चाह महीने बाद इस जमीन के मालिकाना हक के रिकॉर्ड भेजे।
ललित ने इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखा। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने ललित के पत्र का संज्ञान लेते हुए छ्त्तीसगढ़ के मुख्य सचिव विवेक धांड को 26 दिसंबर को पत्र लिखा। पीएमओ ने मुख्य सचिव से शिकायतकर्ता की पहचान पूरी तरह गुप्त रखने का भी निर्देश दिया। मुख्य सचिव ने 13 जनवरी 2017 को महासमंद के कलेक्टर को मामले की जांच के लिए कहा। 16 मार्च 2017 को कलेक्टर ने मुख्य सचिव को लिखित रूप से बताया कि संबंधित जमीन वन विभाग को दी गई थी लेकिन राजस्व विभाग के दस्तावेज में “नाम बदलवाने में ढिलाई” के चलते ये मूल मालिक के नाम पर थी जिसने इसे सविता अग्रवाल को बेच दी।
ये साफ होने के बावजूद कि संबंधित जमीन वन विभाग की थी रायपुर के कमिश्नर बृजेश मिश्रा ने 13 अप्रैल 2017को कहा कि वन, राजस्व और जल संसाधन विभाग इस बारे में कार्रवाई करेंगे। इसके पहले नवंबर 2016 में वन विभाग जल संसाधन विभाग से दस्तावेज में जरूरी सुधार करने को लिख चुका था। उस समय बृजमोहन अग्रवाल जल संसाधन मंत्री थे। 22 नवंबर 2016 को जल संसाधन विभाग ने लिखा, “यह बात तब सामने आई जब श्री ललित चंद्रनाहू वनमंडल अधिकारी महासमंद से शिकायत की गई और उनके द्वारा जांच में पाया गया कि भूमि खसरा संख्या 117, नाया 802/1,802/2, 802/3 के रूप में दानकर्ता द्वारा श्रीमती सरिता अग्रवाल पति श्री बीएम अग्रवाल के नाम से विकर्य कर दी गई है। अतः, इ पर विभाग द्वारा आज दिनांक को किसी भी प्रकार की कार्वाई किया जाना संभव नहीं है।” 30 जून 2017 को जिला कलेक्टर ने वन एवं जल संसाधन विभाग से एक बार फिर पूछा कि इस मामले पर क्या कार्रवाई की गई है क्योंकि इस मामले को छत्तीसगढ़ आर्थिक अपराध शाखा और भ्रष्टाचार निरोधक शाखा को भी भेजा जा चुका है?