Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में माओवादियों ने शिक्षकों के बीच नया खौफ पैदा कर दिया है। इसी हफ्ते माओवादियों ने बीजापुर के लेंड्रा गांव में एक 25 साल के शिक्षा दूत कल्लू ताती की हत्या कर दी। इस साल कुछ इसी तरह माओवादियों ने अब तक 6 शिक्षादूतों की हत्या की है। माओवादियों को शक है कि ये शिक्षादूत पुलिस की तरफ से प्लांट किए गए मुखबिर है।

शिक्षादूत योजना के लिए आवेदकों का 12वीं कक्षा उत्तीर्ण होना आवश्यक है। इस योजना के तहत नियुक्त शिक्षकों को जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ) निधि से 12,000 रुपये प्रति माह का भुगतान किया जाता है। शिक्षादूतों की नियुक्ति ग्राम पंचायत के माध्यम से की जाती है और उनकी उपस्थिति सत्यापित होने के बाद जिला प्रशासन द्वारा भुगतान किया जाता है। शिक्षा के विस्तार और रोजगार के इस साधन पर अब संकट के बादल हैं, क्योंकि शिक्षा दूत बनना लोगों के लिए असमंजस का विषय बन गया है।

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शिक्षादूतों में दुविधा की स्थिति

ऐसे ही शिक्षा दूत गंभीर तेलम है जो कि छत्तीसगढ़ के शिक्षादूत (अस्थायी शिक्षक) संघ के नेता है गंभीर तेलम मानते हैं कि उनके सामने एक बहुत ही मुश्किल विकल्प है, या तो अपनी नौकरी जारी रखें और माओवादियों द्वारा मारे जाने का जोखिम उठाएं, या नौकरी छोड़कर गरीबी का सामना करें। तेलम ने कहा कि उन्होंने बीए की डिग्री हासिल की है लेकिन अब वे माओवादियों के निशाने पर आ गए हैं।

पुलिस ने माओवादियों की हरकत पर क्या कहा?

एक शिक्षक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि माओवादी हमसे पूछताछ करते हैं और हमें धमकाते हैं। वे नियमित रूप से हमारे फ़ोन भी चेक करते हैं और जब हम काम से लौटते हैं, तो पुलिस भी हमसे पूछताछ करती है। बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि माओवादी नहीं चाहते कि बस्तर के बच्चे शिक्षित हों।

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पुलिस अधिकारी ने कहा, “इन हत्याओं के पीछे का स्पष्ट उद्देश्य स्थानीय आबादी, खासकर बच्चों को शिक्षा के अवसर से वंचित करना है। माओवादियों को डर है कि एक शिक्षित और जागरूक समाज अब उनकी पुरानी, ​​अमानवीय, विकास-विरोधी और क्रूर विचारधारा का समर्थन नहीं करेगा।”

माओवादी अस्तित्व बचाने के लिए लड़ रहे

अस्थाई शिक्षकों से पूछताछ की बात पर एक अधिकारी ने कहा कि वे सिर्फ शिक्षादूतों से नहीं बल्कि सभी से ही सवाल करते हैं। एक अन्य वरिष्ठ कहते हैं कि अब भारी नुकसान झेलने के बाद माओवादी सभी पर शक करते हैं उनके लिए यह अस्तित्व का सवाल है, इसीलिए वे पहली की तरह जनसुनवाई भी नहीं कर रहे हैं।

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शिक्षादूत वाली योजना की बात करें तो इस योजना के शुरू होने के बाद से राज्य के माओवाद प्रभावित जिलों बीजापुर और सुकमा में लगभग 400 शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। 2023 में पहले शिक्षकदूत की हत्या के बाद ऐसे कई शिक्षक एकजुट हुए और छत्तीसगढ़ स्थानीय शिक्षादूत कल्याण संघ की स्थापना की। संघ की सुकमा इकाई ने जारी एक बयान में इस हालिया हत्या की निंदा की।

इसको लेकर वीडियो में एक बयान भी जारी किया गया। इसमें कहा गया कि हम माओवादियों से पूछना चाहते हैं कि वे शिक्षादूतों को क्यों निशाना बना रहे हैं । क्या उनके पास कोई सबूत है कि हम पुलिस के लिए काम करते हैं? अगर हां, तो उन्हें किसी और की हत्या करने से पहले ये सबूत पेश करने चाहिए।

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