छत्तीसगढ़ के बीजापुर में शनिवार को नक्सलियों को दबोचने गए सुरक्षा बलों पर घात लगाकर हमला किया गया। इसमें कुल 5 जवान शहीद हो गए जबकि 10 के जख्मी होने की सूचना है। मृतकों में CRPF के 4 जवान हैं, जबकि एक जवान DRG का था। घटना में तीन नक्सलियों के भी मारे जाने के खबर सामने आ रही है। बताया जाता है कि इसमें एक महिला भी शामिल है।
बताया जाता है कि CRPF, DRG, जिला पुलिस बल और कोबरा बटालियन के जवान संयुक्त रूप से सर्चिंग पर निकले थे। इस हमले में IED बम का इस्तेमाल किया गया था। छत्तीसगढ़ में 10 दिनों के भीतर यह दूसरा नक्सली हमला है। इससे पहले 23 मार्च को भी एक नक्सली हमला हुआ था। इसमें भी 5 जवान शहीद हो गए थे, जबकि 14 जवान घायल हुए थे। नक्सलियों पर बड़ी कार्रवाई के लिए संयुक्त टीम शनिवार को भेजी गई थी।
तर्रेम, बीजापुर के पास जंगलों में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में 5 सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई और लगभग 10 अन्य घायल हुए हैं: छत्तीसगढ़ DGP डी.एम. अवस्थी
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 3, 2021
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सुकमा में नक्सलियों से मुठभेड़ में घायल हुए जवानों को बेहतर इलाज की सुविधा मुहैया कराने के निर्देश दिए हैं: छत्तीसगढ़ सरकार
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 3, 2021
CRPF के एक अधिकारी का कहना है कि इस हमले में जिस बस पर हमला किया गया, उसमें कुल 24 जवान सवार थे। हमले की सूचना मिलते ही जवानों को रेस्क्यू करने के लिए बैकअप टीम घटनास्थल पर भेजी गई थी। लोकल पुलिस ने भी तत्काल मौके का मुआयना किया। उनका कहना है कि आने वाले दिनों में नक्सलियों के खिलाफ बड़ा ऑपरेशन चलाया जा सकता है।
नक्सलियों की ओर से 17 मार्च को एक शांति प्रस्ताव सरकार के सामने रखा गया था। प्रस्ताव में कहा गया था कि वे सशस्त्र बलों को इलाके से हटा लें। उनकी मांग माओवादी संगठनों पर से प्रतिबंध हटाने की भी थी। नक्सलियों का कहना था कि वे जनता की भलाई को ध्यान में रखते हुए सरकार से बातचीत करना चाहते हैं। लेकिन दूसरी तरफ इसके बाद हमले तेज हो गए। सूबे के डीजीपी दुर्गेश अवस्थी का कहना है कि तर्रेम थाना क्षेत्र के जंगलों में मुठभेड़ अभी तक जारी है।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने शपथ लेने के बाद कहा था कि नक्सली समस्या एक सामाजिक,आर्थिक और राजनीतिक समस्या है और इससे इसी तरह से ही निपटा जाएगा। उन्होंने कहा था कि पिछली सरकार ने बंदूकों के माध्यम से नक्सल समस्या को हल करने की कोशिश की थी, जो उचित तरीका नहीं है। यह एक सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक समस्या है और इससे इसी तरह से निपटा जाना चाहिए। हालांकि