मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में लगातार हो रही चीतों की मौत के बाद प्राशासन काफी सतर्क दिखाई दे रहा है। चीतों की मौत को लेकर अधिकारियों की मदद के लिए दो दक्षिण अफ़्रीकी चीता विशेषज्ञों ने भी भारत का दौरा किया है।
इन विशेषज्ञों ने चीतों की मौत के पीछे बताए कारणों में रेडियो कॉलर की बात को प्रमुखता से उठाया था। जिसे लेकर वन विभाग ने जांच की है। ताजा खबर के मुताबिक वन्यजीव अधिकारियों ने कहा कि मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में कम से कम दो चीतों के रेडियो कॉलर हटाए जाने के बाद गंभीर संक्रमण का पता चलने पर उनका इलाज किया गया है। ये दोनों चीते उन छह चीतों में से हैं जिन्हें 11 और 14 जुलाई को दो चीतों की मौत के बाद में उनके बाड़ों में वापस लाया गया है।
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य वन्यजीव वार्डन जे एस चौहान ने भी इन उपकरणों को हटाने का सुझाव दिया था, उन्होंने कहा था कि उन्हें संदेह है कि ये चीतों में संक्रमण पैदा कर रहे हैं।
दक्षिण अफ़्रीकी चीता विशेषज्ञों ने चेताया था
लगातार बढ़ रही घटनाओं के बाद दो दक्षिण अफ़्रीकी चीता विशेषज्ञों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि रेडियो कॉलर समस्याएं पैदा कर सकते हैं। उनके पद से हटाए जाने से कुछ दिन पहले, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य वन्यजीव वार्डन जे एस चौहान ने भी इन उपकरणों को हटाने का सुझाव दिया था, उन्होंने कहा था कि उन्हें संदेह है कि ये चीतों में संक्रमण पैदा कर रहे हैं।
रविवार को अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने छह चीतों, पावक, आशा, धीरा, पवन, गौरव और शौर्य के रेडियो कॉलर हटा दिए और उनकी चिकित्सीय स्थितियों की भी जांच की।
दो चीतों में गंभीर संक्रमण
वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक कुछ चीतों को छोटे घाव थे लेकिन नामीबियाई भाइयों गौरव और शौर्य के नर गंभीर संक्रमण था। उनके लिए दवाओं का स्टॉक किया गया है और इन तरीकों पर चर्चा की जा रही है कि रेडियो कॉलर की समस्या फिर से न उभरे। इसके पीछे डिज़ाइन के साथ कोई मुद्दा हो सकता है जिस पर चर्चा की जाएगी।