पाटीदार आरक्षण आंदोलन मामले में डिटेक्शन ऑफ क्राइम ब्रांच(डीसीबी) ने हार्दिक पटेल और उनके पांच साथियों के खिलाफ सोमवार को चार्जशीट दायर की। यह चार्जशीट देशद्रोह के दूसरे मामले में दायर की गई है। चार्जशीट में कहा गया है कि उनके समुदाय को कानूनी और सामाजिक रूप से ओबीसी श्रेणी में शामिल नहीं किया जा सकता यह जानते हुए भी आरोपियों ने हिंसा के जरिए सरकार को गिराने का आंदोलन चलाया। चार्जशीट में दावा किया गया है कि आरोपी राज्य के खिलाफ लड़ाई छेड़कर सरकार गिराना चाहते थे।
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1931 की जनगणना का उल्लेख करते हुए इसमें लिखा कि, ‘पटेल समुदाय की कणभी नाम से भी पहचान है और इसे ओबीसी में शामिल नहीं किया गया।’ ओबीसी आयोग ने इस श्रेणी में पाटीदारों को शामिल करने की अनुशंषा नहीं की। चार्जशीट के अनुसार,’ बावजूद इसके पाटीदार कमिटी ने सरकार पर दबाव डालने की साजिश रची। साथ ही हिंसा के जरिए सरकारी अधिकारियों और गुजरात सरकार को अवैध निर्णय लेने के लिए दबाव में डालने की कोशिश की गई।’ 2700 पन्नों की चार्जशीट में हार्दिक के साथ ही केतन पटेल, दिनेश भामभणिया, चिराग पटेल, अमरीश पटेल और अल्पेश कथीरिया को आरोपी बनाया गया है। अमरीश और अल्पेश को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है।
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चार्जशीट के अनुसार 23 जुलाई से तीन दिसंबर के बीच 457 अपराध दर्ज किए गए। इनमें से 53 अहमदाबाद में दर्ज हुए। राजनेताओं की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के 10 मामले हैं। 44 करोड़ की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। ट्रासंपोर्ट डिपार्टमेंट को सबसे ज्यादा 34 करोड़ का नुकसान हुआ। चार्जशीट दायर करने के कुछ ही देर बाद हार्दिक के वकीलों ने गुजरात हाईकोर्ट से उसकी जमानत याचिका वापस ले ली। बताया जा रहा है कि सेशन कोर्ट में नई याचिका दायर की जाएगी।