फर्जी टीआरपी घोटाले के मामले में रिपब्लिक टीवी और इंडिया टुडे की मुश्किलें बढ़ सकती है। प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से इसी महीने चार्जशीट फाइल करने की संभावना है। ई़डी की तरफ से पिछले साल नवंबर में इस मामले में केस दर्ज किया गया था। इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट दाखिल की गयी थी। जिसे पुलिस प्राथमिकी के समान ही माना जाता है।

बताते चलें कि बार्क की शिकायत के बाद फर्जी टीआरपी घोटाला सामने आया था। पुलिस ने आरोप लगाया था कि कुछ चैनल टीआरपी बढ़वाने के लिए रिश्वत दे रहे हैं, ताकि उनकी विज्ञापन से होने वाली कमाई बढ़ सके। आरोप में कहा गया था कि जिन घरों में टीआरपी मीटर लगे हुए थे, उन्हें कोई एक चैनल खोले रखने के लिए रिश्वत दी जा रही थी।

TRP मापने पर रोक: सूचना और प्रसारण मंत्रालय की तरफ से टेलीविजन रेटिंग्स को लेकर चल रहे जांच के बीच बार्क से कहा गया था कि जब तक मंत्रालय की जांच पूरी नहीं हो जाती है तब तक टीवी रेटिंग्स पर रोक जारी रखा जाए। पहले ये रोक 12 सप्ताह के लिए लगाया गया था।

क्या है बार्क?: ब्रॉडकॉस्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) टेलीविजन रेटिंग बताने वाली एजेंसी है। यह एक संयुक्त संस्था है। जिसे प्रसारणकर्ता, विज्ञापनदाता, विज्ञापन और मीडिया एजेंसी का प्रतिनिधित्व करने वाले स्टॉकहोल्डर मिलकर चलाते हैं। यह दुनिया का सबसे बड़ा टेलीविजन मेजरमेंट निकाय है।

पांच मार्च तक मिली थी राहत: इस मामले में हाई कोर्ट की तरफ से रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी समेत अन्य टीवी चैनलों के कर्मचारियों को पांच मार्च तक अंतरिम राहत दी गयी थी। अदालत में महाराष्ट्र सरकार ने कहा था कि अभी कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की जाएगी।