इस साल उत्तराखंड में चारधाम यात्रा सड़क और हेलिकॉप्टर दुर्घटनाओं की भेंट चढ़ रही है। मुनाफे की होड़ में तीर्थयात्रियों की जान से खिलवाड़ हो रहा है। यात्रा मार्गों पर न तो संचालनकर्ताओं की ओर से मानकों का पालन किया जा रहा है और न ही नियामक संस्थाएं सतर्क दिख रही हैं। दूसरी ओर, श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ के प्रबंधन में भी प्रशासन पूरी तरह नाकाम साबित हो रहा है। व्यवस्था को लेकर किए गए तमाम दावों की पोल खुलती जा रही है।

चारधाम यात्रा इस वर्ष 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के दिन गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ शुरू हुई। इसके बाद दो मई को केदारनाथ और चार मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट खोले गए। चार मई से यात्रा में भीड़ जुटनी शुरू हुई। हालांकि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के चलते लगभग दो हफ्ते तक तीर्थयात्रियों की संख्या कम रही, लेकिन इसके बाद भीड़ में अचानक तेजी आई और हादसों में भी वृद्धि देखी गई।

दो महीनों में 60 से अधिक तीर्थयात्रियों की गई जान

सरकारी एजेंसियों का दावा है कि हादसों को रोकने के लिए कई एहतियाती कदम उठाए गए और संचालकों को निर्देश भी जारी किए गए हैं। लेकिन यह स्पष्ट हो गया है कि हेलिकॉप्टर सेवाएं देने वाली कंपनियां और सड़क मार्ग पर टैक्सियों तथा बसों का संचालन करने वाली ट्रैवल एजेंसियां राज्य सरकार द्वारा तय मानकों का पालन नहीं कर रही हैं। नतीजतन, तीर्थयात्रियों की जान जोखिम में पड़ी हुई है। इस वर्ष अभी तक दो महीनों में 60 से अधिक तीर्थयात्री विभिन्न कारणों से अपनी जान गंवा चुके हैं।

अब तक चारधाम यात्रा में दो दर्जन से अधिक सड़क और हवाई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। पहली हवाई दुर्घटना आठ मई को गंगनानी-गंगोत्री मार्ग पर हुई, जिसमें छह तीर्थयात्रियों की मौत हो गई। इसके बाद 12 मई को बद्रीनाथ से उड़ान भरते समय हेलिकॉप्टर अनियंत्रित होकर आपात स्थिति में उतारा गया। 13 मई को भी हेलिकॉप्टर को वापस लौटना पड़ा। 17 मई को केदारनाथ हेलीपैड पर ऋषिकेश एम्स की एयर एंबुलेंस में तकनीकी खराबी आई, जिसमें सभी यात्री बाल-बाल बच गए। सात जून को रुद्रप्रयाग के बड़ासू में एक हेलिकॉप्टर को राष्ट्रीय राजमार्ग पर आपात लैंडिंग करनी पड़ी, जिससे उसका एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया। 15 जून को रुद्रप्रयाग जिले के त्रियुगीनारायण-गौरीकुंड क्षेत्र में एक हेलिकॉप्टर पेड़ से टकरा गया, जिसमें पायलट समेत छह तीर्थयात्री मारे गए।

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केदारनाथ हवाई मार्ग पर हेलिकॉप्टर सेवाओं के संचालन में मानकों का पालन नहीं हो रहा है। आठ मई की दुर्घटना के बाद मुख्यमंत्री ने कड़े निर्देश जारी किए थे, जिनमें छह सवारी की बजाय केवल चार सवारी बैठाने का आदेश दिया गया। लेकिन 17 जून की दुर्घटना में यह बात सामने आई कि इन निर्देशों का भी पालन नहीं किया गया। इसके बाद सरकार ने हेलिकॉप्टर कंपनी पर रोक लगाई और उसके दो प्रबंधकों पर मुकदमा दर्ज किया।

पर्यावरणविद और सामाजिक कार्यकर्ता प्रो. बी.डी. जोशी का कहना है कि हेलिकॉप्टरों का संचालन अब रिक्शे और तांगे की तरह किया जा रहा है। मुनाफे के चक्कर में अधिक सवारियां बैठाई जा रही हैं और बिना सुरक्षा जांच के उड़ानें बढ़ा दी गई हैं।

मानकों के अनुसार, प्रत्येक हेलिकॉप्टर को मंदाकिनी नदी के तट से 600 मीटर ऊपर उड़ान की अनुमति है, क्योंकि केदारनाथ तक का हवाई मार्ग पहाड़ियों के कारण बेहद संकरा है। एक बार में दो हेलिकॉप्टर ही उड़ सकते हैं, लेकिन कंपनियां तीन-तीन हेलिकॉप्टर एक साथ रवाना कर रही हैं। कई बार शाम ढलने के बाद भी उड़ानें जारी रहती हैं।

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डीजीसीए ने केदारनाथ के लिए हेलिकॉप्टर सेवाओं पर कई प्रतिबंध लगाए हैं, जिनमें सवारियों की संख्या सीमित करना शामिल है, लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा।

हाल ही में केदारनाथ पैदल मार्ग पर जंगलचट्टी के पास मलबे की चपेट में आकर एक व्यक्ति की मौत हुई, जबकि दो घायल हो गए। गुरुवार को रुद्रप्रयाग जिले में केदारनाथ-बद्रीनाथ मार्ग पर एक बस अलकनंदा नदी में गिर गई, जिससे तीन तीर्थयात्रियों की मौत हो गई और सात लापता हो गए। दो दिन पहले यमुनोत्री में भूस्खलन की चपेट में आने से दो श्रद्धालुओं की मृत्यु हुई और दो लापता हैं।

गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार के पूर्व पर्यावरण विभागाध्यक्ष प्रो. दिनेश भट्ट का कहना है कि सड़कों के चौड़ीकरण के नाम पर जिस बर्बरता से पेड़ काटे जा रहे हैं और पहाड़ों को छेदा जा रहा है, उससे उत्तराखंड के पहाड़ बेहद कमजोर हो गए हैं। अब मामूली बारिश में भी पहाड़ टूटने लगते हैं।

आईआईटी रुड़की के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. सत्येंद्र मित्तल के अनुसार, पहाड़ों में सड़क और विद्युत परियोजनाओं के निर्माण के समय भूगर्भीय संरचना का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। लगातार विस्फोटों के कारण पहाड़ कमजोर हो रहे हैं। पर्यावरणविद रवि चोपड़ा का कहना है कि उत्तराखंड में विकास के नाम पर अब विनाश हो रहा है। प्रकृति के साथ जो छेड़छाड़ हो रही है, उसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है।