Chandrayaan 3 Update: ‘चंद्रयान-3’ के लैंडर मॉड्यूल ‘विक्रम’ ने बुधवार शाम 6 बजकर 4 मिनट पर जैसे चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की, पूरी दुनिया भारत का गुणगान करने लगी। भारत ना सिर्फ चांद पर पहुंचने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है बल्कि साउथ पोल पर जाने वाला दुनिया का पहला देश भी बन गया है। ब्रिक्स सम्मेलन और सितंबर में होने वाली जी-20 बैठक से पहले इसरो की यह उपलब्धि भारत के लिए काफी अहम है। चंद्रयान-3 का रोवर प्रज्ञान भी अब लैंडर से बाहर निकलकर चहलकदमी कर रहा है। इसकी तस्वीरें भी सामने आने लगी हैं। विक्रम लैंडर की अभी तक जो तस्वीरें सामने आई हैं उनमें वह सोने की एक परत से ढंका हुआ दिखाई दे रहा है। आखिर यह सोने की परत क्यों चढ़ाई गई और इसका चंद्रयान-3 मिशन की सफलता में क्या योगदान है?
क्यों चढ़ाई गई सुनहरी की परत
चंद्रयान पर सुनहरी परत को एक खास वजह से लगाया गया है। इस सुनहरी परत का मुख्य काम चंद्रयान के यंत्रों को सूरज के रेडिएशन से बचाना है। यह सुनहरी परत इंसुलेशन का काम करती है। यह बाहरी हीट को यंत्र के अंदर आने से रोकती है। इस परत को मल्टी लेयर इंसुलेशन कहते हैं। दरअसल यह कई परतों से मिलकर बनाई जाती है, इसलिए इसे मल्टी लेयर इंसुलेशन यानि MLI कहते हैं।
कैसी बनती है परत?
मल्टी लेयर इंसुलेशन की ज्यादातर परतें पॉलिस्टर की बनी हुई होती हैं। इसमें एल्युमिनियम का भी इस्तेमाल किया जाता है। इस परत में कितनी लेयर होंगी और उनकी मोटाई कितनी होगी यह कई बातों पर निर्भर करता है। परत की मोटाई इस बात से तय होती है कि स्पेसक्राफ्ट या सैटेलाइट किस तरह के ऑर्बिट में चक्कर लगाएगा। साथ ही स्पेसक्राफ्ट पर सूर्य की रोशनी कितनी पड़ेगी और स्पेस का तापमान कितना अधिक या कम होगा इस पर भी निर्भर करता है।
चंद्रयान-3 मिशन में कितनी अहम है यह परत
विक्रम लैंडर पर जो सुनहरी परत लगाई गई है वह एल्युमीनियम और पॉलिमाइड की लगी हुई है। इस पर लगा एल्युमिनियम वाला हिस्सा अंदर की तरफ है। मल्टी लेयर परत का मुख्य काम लैंडर पर तापमान के बुरे असर को पड़ने से रोकना है। दरअसल अंतरिक्ष का तापमान दिन में बहुत अधिक और रात में बहुत कम हो सकता है। किसी ऑर्बिट में माइनस 200 फेरेनहाइट और किसी में 300 डिग्री फेरेनहाइट तक तापमान होता है। इसका सीधा असर स्पेसक्राफ्ट, लैंडर और सैटेलाइट पर पड़ सकता है। इसलिए इसे खास तरह की परत यानी इंसुलेटर से ढका जाता है। ताकि तापमान का असर इसमें लगी डिवाइस को खराब नहीं कर पाए।
चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतर चुका है। इसके अंदर से प्रज्ञान रोवर भी बाहर निकल चुका है। यहां पर सूरज की किरणें सीधा विक्रम लैंडर पर पड़ेंगी। इन्हीं किरणों के जरिए लैंडर और रोवर एनर्जी प्राप्त करेगा और चांद की सतह पर कई तरह के प्रयोग भी करेगा। इस दौरान सुनहरी परत सूरज की किरणों को वापस रिफ्लेक्ट कर देगी और सूरज की किरणों का बुरा असर मिशन पर नहीं पड़ेगा। इसलिए यह सोने की परत लैंडर के लिए काफी अहम है। इतना ही नहीं विक्रम लैंडर के चांद पर उतरने के दौरान जो धूल का गुबार उड़ा उससे भी लैंडर में बचाने में इस सुनहरी परत का अहम योगदान है।