Chandrayaan-3 Update: चंद्रयान-3 ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग कर इतिहास रच दिया है। भारत ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग के करीब तीन घंटे बाद उसके अंदर से प्रज्ञान रोवर बाहर निकला। इसरो ने जानकारी दी है कि रोवर ने अपना काम शुरू कर दिया है। पृथ्वी के हिसाब से अगले 14 दिन (चांद पर एक दिन) तक प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट करेगा। प्रज्ञान रोवर विक्रम लैंडर में लगे रैंप की मदद से चन्द्रमा की सतह पर उतरा है। रोवर का वजन 26 किलो है और साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट करने के लिए इसको आधुनिक सेंसर से लैस किया गया है। प्रज्ञान रोवर चन्द्रमा की सतह पर लैंडर से 500 मीटर के दायरे में धीरे-धीरे घूम सकता है।
लैंडर और रोवर पर लगे हैं ये पेलोड्स
विक्रम लैंडर में कुल चार पेलोड्स लगे हैं। इनमें रेडियो एनाटॉमी ऑफ मून बाउंड हाइपरसेंसिटिव आयनोस्फीयर एंड एटमॉस्फियर यानी रंभा (RAMBHA) चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा और बदलाव की जांच करेगा। रंभा चंद्रमा की सतह के पास इलेक्ट्रॉन और आयनों का अध्ययन करेगा और समय के साथ वह कैसे बदलते हैं इसका भी पता लगाएगा।
वहीं लैंडर में लगा चास्टे (ChaSTE) चांद की सतह की गर्मी यानी तापमान की जांच करेगा। चांद की सतह पर थर्मो फिजिकल एक्सपेरिमेंट (ChaSTE) ध्रुवीय क्षेत्र के पास चंद्र सतह के थर्मल गुणों का अध्ययन करेगा। चंद्रयान-3 लगभग 70 डिग्री दक्षिणी ध्रुव पर उतरा है, अभी तक किसी भी देश का अंतरिक्ष यान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव तक नहीं पंहुचा पाया है।
चांद भूकंपीय गतिविधि उपकरण (ILSA) लैंडिंग स्थल के पास चांद पर आने वाले भूकंप को मापेगा और चंद्रमा की परत और मेंटल की संरचना का अध्ययन भी करेगा। वहीं लेजर रेट्रोरेफ्लेक्टर ऐरे (LRA) इसरो द्वारा भेजा गया एक पैसिव प्रयोग है जो भविष्य के मिशनों के लिए चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव का लेज़र की मदद से बहुत सटीक माप लेगा। यह भविष्य के मिशन में बहुत कारगर साबित होगा।
प्रज्ञान रोवर करेगा यह साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट
लैंडर के अलावा चंद्रयान-3 के प्रज्ञान रोवर में भी पेलोड्स लगे हैं। इनमें से लेजर प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS) चांद की सतह की रासायनिक और खनिज संरचना की जांच करेगा। रोवर ही चन्द्रमा की सतह पर पानी को खोजेगा। इसके अलावा अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (APEX) चंद्रमा की मिट्टी और चट्टानों में मैग्नीशियम, एल्यूमीनियम, सिलिकॉन, पोटेशियम, कैल्शियम, टाइटेनियम और लौह जैसे तत्वों का पता लगाने का काम करेगा।