Chandrayaan-3: 14 जुलाई को श्री हरिकोटा स्पेस सेंटर से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया गया था। लॉन्च के 11 दिन बाद 25 जुलाई को चंद्रयान-3 धरती के ऑर्बिट में पांचवीं और आखिरी बार आगे बढ़ेगा। 25 जुलाई को दोपहर 2 से 3 बजे के बीच चंद्रयान अर्थ बाउंड ऑर्बिट मैन्यूवर करेगा। इसके बाद इसरो चंद्रयान-3 को चांद के ऑर्बिट में भेजने की तैयारी शुरू कर देगा। चंद्रयान-3 इस वक्त 71351 गुना 233 किलोमीटर के ऑर्बिट में घूम रहा है। इसरो ने बताया है कि 31 जुलाई या 1 अगस्त को चंद्रयान-3 को चांद की ओर भेजा जाएगा।

चंद्रयान-3 को लूनर ट्रांसफर ट्रॉजेक्टरी (Lunar Transfer Trajectory – LTT) पर भेजा जाएगा। इस रस्ते पर डालने के लिए चंद्रयान-3 को स्लिंगशॉट किया जाएगा। चंद्रयान-3 लूनर ट्रांसफर ट्राजेक्टरी पर पांच दिन की यात्रा कर 5-6 अगस्त को चांद के ऑर्बिट में पहुंचेगा। इसके बाद चंद्रयान-3 चन्द्रमा के गुरुत्वाकर्षण में फंसकर रुक जाएगा और चांद के चारों ओर घूमना शुरू कर देगा। इससे चंद्रयान-3 को चांद पर उतारना आसान हो जाएगा। चंद्रयान-3 चांद की ओर करीबन 42 हजार किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से बढ़ेगा। अगर चंद्रयान-3 चन्द्रमा के गुरुत्वाकर्षण में फंसकर नहीं रुका तो यह अंतरिक्ष के अनंत में चला जाएगा।

चंद्रयान-3 कैसे करेगा स्पीड कम?

चंद्रयान-3 में लगे प्रोपल्शन मॉड्यूल में लगे छोटे इंजनों की मदद से चंद्रयान-3 को पूरी तरह से विपरीत दिशा में घुमाकर चंद्रयान की स्पीड कम की जाएगी। चंद्रयान-3 को 180 डिग्री तक घुमा दिया जाएगा ताकि वह चांद के गुरुत्वाकर्षण में फंस कर चांद के ऑर्बिट में रुक जाए। यह काम चन्द्रमा की सतह से करीब 84 हजार किलोमीटर ऊपर होगा। इसरो चंद्रयान-3 को चांद के 100 गुना 100 के ऑर्बिट में रखने की कोशिश करेगी। इसके बाद 23 अगस्त को विक्रम लैंडर रोवर के साथ चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की कोशिश करेगा। बता दें कि चंद्रयान-2 की अपेक्षा में चंद्रयान-3 में लगे विक्रम लैंडर के पैरों की ताकत में इजाफा किया गया है। विक्रम लैंडर के अंदर नए अत्याधुनिक सेंसर्स लगाए गए हैं। चंद्रयान-2 की लैडिंग साइट का क्षेत्रफल 500 मीटर X 500 मीटर था। वहीं इस बार लैंडिंग साइट का क्षेत्रफल 4 किलोमीटर X 2.5 किलोमीटर रखा गया है।

क्या है चंद्रयान-3 मिशन?

चंद्रयान-3 मिशन के तहत इसरो 23 अगस्त को शाम 5:45 बजे चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की कोशिश करेगा। चंद्रयान-3 अपने साथ एक लैंडर और एक रोवर लेकर गया है। लैंडर चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की कोशिश करेगा और सफल लैंडिंग होने के बाद रोवर चांद की सतह पर रसायनों का खोज करेगा। वैज्ञानिक चांद पर मौजूद रसायनों का अध्यन करेंगे और पृथ्वी और चांद के रिश्तों को समझने की कोशिश करेंगे। इसके साथ ही पृथ्वी और चांद के रिश्ते को समझने और पृथ्वी की उत्पत्ति को समझने की भी कोशिश करेंगे। इसरो ने बाहुबली रॉकेट एलवीएम-3 रॉकेट से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया गया था।

अब तक केवल अमेरिका,चीन और रूस ही चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफल हुए हैं। अगर चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतर पाता है तो भारत ऐसा करने वाला पहला देश बन जाएगा। विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक एस उन्नीकृष्णन नायर ने कहा कि एतिहासिक चंद्रयान-3 मिशन 40 दिन बाद चांद पर पहुंच पाएगा। इसरो ने साल 2019 में चंद्रयान-2 के साथ चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की कोशिश की थी लेकिन कुछ तकनीकी खामियों की वजह से विक्रम लैंडर चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर सका। चांद की सतह पर इसकी क्रैश लैंडिंग हुई।