Chandrayaan 3 Update: चंद्रयान-3 की चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग के बाद भारत ऐसा करने वाला पहला देश बन जाएगा। शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रयान-3 लैंड करने की कोशिश करेगा। इस मिशन के जरिए वैज्ञानिक चांद का अध्ययन कर धरती की उत्पति को समझना चाहते हैं। वैज्ञानिक चांद की सतह पर सिर्फ पानी की खोज करना नहीं चाहते, बल्कि वह यहां मौजूद अन्य रसायनों को मौजूदगी का भी पता लगाना चाहते हैं। चांद पर क्या भविष्य में इंसान रह सकेंगे यह चांद पर मिलने वाले खनिज और अन्य गैस की मौजूद से ही संभव हो सकेगा।
इंसान लगातार चांद पर बस्तियां बसाने के प्रयास कर रहा है। कई देशों के अरबपति लोग चांद पर जमीन खरीदने का दावा करते है। वहीं कई स्पेस एजेंसियां भी चांद पर कॉलोनी बसाने के लिए लगातार कोशिश कर रही हैं। भविष्य की इसी लड़ाई के कारण विभिन्न देश चांद पर बस्ती बसाने का प्रयास कर रहे है। भारत का चंद्रयान-3 मिशन भी इसी कड़ी में एक अहम रोल निभाएगा। चंद्रयान-3 का मुख्य मकसद दक्षिणी ध्रुव पर पानी की तलाश करना है। साथ ही चंद्रयान-3 चांद पर इंसान के रहने लायक वातावरण का पता भी लगाएगा।
चांद पर क्या-क्या खोजेगा चंद्रयान-3
चंद्रयान-3 मिशन के तहत इसरो चांद पर पानी के अलावा अन्य जरुरी तत्वों की खोज भी करेगा। इनमे हीलियम-3 जैसे तत्व भी शामिल होंगे। इसरो के पूर्व ग्रुप डायरेक्टर सुरेश नाइक ने मीडिया को बताया कि ऐसी उम्मीद है कि चांद के दक्षिणी हिस्से में बड़ी संख्या में पानी की मौजूदगी होगी। लेकिन इससे अलग जो अहम फैक्टर है, वो पावर जेनरेटर का है क्योंकि इस हिस्से की टोपोग्राफी बिल्कुल ही अलग है।
उन्होंने आगे बताया कि यहां ऐसा हिस्सा भी मौजूद है जो पूरी तरह से ढका हुआ है। यह हिस्सा काफी ऊंचा भी है। इसके कुछ हिस्से में सूरज की रोशनी तो आती है लेकिन पूरे हिस्से में नहीं पहुंच पाती है। हालांकि यहां मानवीय कॉलोनी बसाने की संभावना सबसे अधिक है। इसके अलावा चांद पर कई तत्व हैं, इनमें सबसे अहम हीलियम-3 है जो कि इंसान के लिए पॉल्यूशन रहित इलेक्ट्रिसिटी बनाने में मदद करेगी। अगले 2-3 साल में चांद पर पहुंचने वाले देशों की रेस तेज हो जाएगी, सिर्फ अगले 2 साल में ही दुनियाभर से 9-10 मिशन लॉन्च किये जाने हैं।