Chandrayaan-3: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान (ISRO) ने घोषणा की है कि चंद्रयान-3 के रोवर ‘प्रज्ञान’ ने चांद की सतह पर अपना काम पूरा कर लिया है। अब वो स्लीप मोड में चला गया है। अंतरिक्ष एजेंसी की घोषणा इसरो प्रमुख एस सोमनाथ के उस बयान के कुछ ही घंटों बाद आई, जिसमें उन्होंने कहा था कि चंद्र मिशन के रोवर और लैंडर, ‘प्रज्ञान’ और ‘विक्रम’ क्रमश: अच्छी तरह से काम कर रहे थे और चंद्रमा पर रात का सामना करने के लिए उन्हें जल्द ही “सो” दिया जाएगा, लेकिन सवाल यह है कि अगर यह स्लीप मोड के बाद नहीं जागा तो आगे क्या होगा? आइए जानते हैं इस सवाल का जवाब-

इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘रोवर ने अपना कार्य पूरा कर लिया है। इसे अब सुरक्षित रूप से पार्क कर दिया गया है और स्लीप मोड में सेट कर दिया गया है। एपीएक्सएस (APXS) और एलआईबीएस (LIBS) पेलोड बंद कर दिए गए हैं। इन पेलोड से डेटा लैंडर के माध्यम से पृथ्वी पर भेजा जाता है।’

Chandrayaan-3 का रोवर ‘प्रज्ञान’ नहीं जागा तो क्या होगा?

चंद्रयान 3 के रोवर ‘प्रज्ञान’ के नहीं जागने की स्थिति में क्या होगा, इसका एक परिदृश्य समझाते हुए पोस्ट में आगे कहा गया है कि ‘वर्तमान में, बैटरी पूरी तरह से चार्ज है। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अगला सूर्योदय 22 सितंबर, 2023 को होगा तो उम्मीद जताई जा रही है कि इसका सौर पैनल उस समय सूर्य से ऊर्जा प्राप्त करने के लिए तैयार होगा। असाइनमेंट के दूसरे दौर के लिए रोवर और लैंडर के जागने की उम्मीद है। अन्यथा, यह हमेशा के लिए भारत के चंद्र राजदूत के रूप में वहां रहेगा।’

क्यों डाला गया ‘स्लीप मोड’ में?

लैंडर और रोवर को चांद पर 14 दिन के लिए कार्य करने के लिए डिजाइन किया गया था। यह पूछे जाने पर कि इसे क्यों जल्दी स्लीप मोड में भेजा गया? चंद्रयान -3 परियोजना निदेशक पी वीरमुथुवेल ने कहा, ‘हम पहले दो और आखिरी दो दिन नहीं गिन सकते। चंद्र दिवस 22 अगस्त को शुरू हुआ और हमारी लैंडिंग लगभग दूसरे दिन के अंत में थी। वहां से, विक्रम और प्रज्ञान दोनों ने हमारी उम्मीदों से बढ़कर असाधारण प्रदर्शन किया है। मिशन के सभी उद्देश्य पूरे हो गए हैं, इसलिए इसे स्लीप मोड में डाला गया है।’

‘प्रज्ञान’ ने 100 मीटर से ज्यादा की यात्रा पूरी की

बताया जाता है कि चंद्रमा पर अपने छोटे से जीवन में प्रज्ञान ने 2 सितंबर तक 100 मीटर से अधिक की यात्रा पूरी कर ली थी, जो इसकी तैनाती का 10वां दिन था। 23 अगस्त को विक्रम की सॉफ्ट-लैंडिंग के कई घंटों बाद वहां 24 अगस्त को सुबह हुई थी।

चंद्रयान-3 के परियोजना निदेशक वीरमुथुवेल ने कहा ‘अगर हम विशेष रूप से रोवर को देखें, तो हम केवल 10 दिनों में 100 मीटर से अधिक की दूरी तय करने में कामयाब रहे हैं। जबकि कई अन्य मिशन जो लंबे समय तक चले हैं यहां तक कि छह महीने तक, केवल 100-120 मीटर ही तय कर पाए।’