Chandrayaan 3 Update: 40 दिन का सफर तय करने के बाद चंद्रयान-3 अपने निर्धारित लक्ष्य से तकरीबन 30 किमी की दूरी पर घूम रहा है। शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रयान-3 चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव के निकट लैंड करेगा। चंद्रयान-3 के लैंडर में 4 पेलोड्स मौजूद हैं। इनका काम चांद की सतह पर कई प्रयोग करना है। यह ना सिर्फ चांद पर पानी की खोज करेंगे बल्कि यहां खनिज और इंसान के लिए जरूरी गैस की मौजूदगी का भी चांद करेंगे। चंद्रयान-3 को चंद्रमा की सतह पर सफल लैंडिंग कराने के लिए इसरो ने विक्रम लैंडर में जरूरी कमांड दे दिए हैं।
लैंडिंग के 4 घंटे बाद बाहर आएगा प्रज्ञान
चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के करीब 4 घंटे बाद विक्रम लैंडर के अंदर से प्रज्ञान रोवर बाहर निकलेगा। प्रज्ञान रोवर का मुख्य काम चन्द्रमा की सतह से जानकारी जुटाकर इसरो तक भेजना है। प्रज्ञान रोवर चन्द्रमा की सतह पर पानी की तलाश भी करेगा। इसके अलावा इसमें लगे कई पेलोड्स चांद की मैपिंग के अलावा अन्य प्रयोग भी करेंगे। प्रज्ञान रोवर का वजन करीब 26 किलो है। इसमें 6 पहिए लगे हुए हैं। इसके पिछले 2 पहियों पर इसरो और भारत का चिन्ह हैं। जैसे-जैसे यह चांद की सतह पर आगे बढ़ेगा यह निशान चंद्रमा की सतह पर छोड़ता जाएगा।
विक्रम और प्रज्ञान खीचेंगे एक दूसरे की तस्वीरें
विक्रम लैंडर की सफल लैंडिंग के बाद लैंडर में लगा आधुनिक कम्यूनिकेटर प्रज्ञान रोवर से संपर्क साधेंगे। विक्रम लैंडर के अंदर से एक रैंप निकलेगा जिसकी मदद से प्रज्ञान रोवर चन्द्रमा की सतह पर उतरेगा। विक्रम लैंडर प्रज्ञान की तस्वीर खींचेगा और प्रज्ञान भी विक्रम लैंडर की तस्वीर लेगा और पृथ्वी को भेजेगा।
लैंडिंग के बाद चार पेलोड्स लेंगे चांद की सतह का मुआयना
चन्द्रमा की सतह पर उतरने के बाद विक्रम लैंडर में लगे चार पेलोड्स चांद की सतह का मुआयना करेंगे। इनमें रेडियो एनाटॉमी ऑफ मून बाउंड हाइपरसेंसिटिव आयनोस्फीयर एंड एटमॉस्फियर यानी रंभा (RAMBHA) चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा और बदलाव की जांच करेगा। वहीं इसके अलावा चास्टे (ChaSTE) चांद की सतह की गर्मी यानी तापमान की जांच करेगा। वहीं इल्सा (ILSA) लैंडिंग साइट के आसपास चांद पर आए भूकंप का माप करेगा। इसके अलावा लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरे चन्द्रमा के डायनेमिक्स को समझने की कोशिश करेगा।
