Chandrayaan-3 Lander-Propulsion Module: भारत और रूस दोनों देश चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की तैयारी कर रहे हैं। चंद्रयान-3 मिशन 23 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा तो वहीं रूस का लूना-25 मिशन 21 अगस्त को चंद्रमा के सतह पर उतरने की कोशिश करेगा। इसरो ने चंद्रयान-3 मिशन को 14 जुलाई को लॉन्च किया था। यह 5 अगस्त को चांद के ऑर्बिट में पहुंचा। वहीं रूस का लूना-25 मिशन 11 अगस्त को लॉन्च किया गया था। रूस ने इससे पहले सोवियत युग में आखिरी बार 1976 में लूना-24 मिशन लॉन्च किया था।
चंद्रयान-3 से हल्का है लूना-25
भारत और रूस के बीच चन्द्रमा पर पहुंचने की होड़ पर पूरी दुनिया ने पैनी नजर बनाए हुए है। रूस के लूना-25 का वजन 1750 किलो है तो वहीं चंद्रयान का वजन 3800 किलो है। लूना-25 का अधिशेष ईंधन भंडारण ईंधन दक्षता से जुड़ी समस्या को दूर करता है। जिसके कारण यह अधिक सीधा मार्ग पर चलने में सक्षम होता है। इसके विपरीत चंद्रयान-3 की ईंधन वहन क्षमता के कम होने के कारण चंद्रमा तक पहुंचने के लिए चंद्रयान को ज्यादा घुमावदार रास्ता अपनाना पड़ता है।
लूना-25 और चंद्रयान-3 के बजट में कितना है अंतर?
भारत और रूस के लूनर मिशन के बजट में काफी अंतर है। चंद्रयान-3 का बजट 615 करोड़ है। वहीं रूस ने लूना-25 के बजट का आधिकारिक ऐलान नहीं किया है। जानकारों के मुताबिक रूस ने इस लूनर मिशन पर करीब 200 मिलियन डॉलर यानी 16 अरब रुपये खर्च किए हैं। रूस ने यह निवेश लूना-25 के विशिष्ट डिजाइन, सुविधाओं पर खर्च किया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि लूना-25 काफी तेज है साथ ही यह उम्मीद जताई जा रही है कि चंद्रयान-3 से पहले चंद्रमा की सतह पर पहुंचेगा।
चंद्रयान-3 से टकरा सकता है लूना-25?
चंद्रयान-3 चांद की पांचवीं कक्षा में घूम रहा है। जल्द ही यह चांद की सतह पर उतरेगा। वहीं लूना-25 फिलहाल पृथ्वी के ऑर्बिट में घूम रहा है। 21 अगस्त को लूना-25 चन्द्रमा के दक्षिणी सतह पर उतरेगा। दोनों मिशन एक दूसरे के बेहद करीब से गुजरने वाले है। वैश्विक मीडिया में यह खबर चल रही है कि दोनों मिशन एक दूसरे से टकरा सकते हैं। दरअसल, दोनों को चन्द्रमा की सतह तक पहुंचने का रास्ता तकरीबन एक ही है।
क्या है चंद्रयान-3 मिशन?
आपको बता दें कि चंद्रयान-3 मिशन को 14 जुलाई को श्री हरिकोटा स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था। चंद्रयान-3 मिशन के तहत इसरो 23 अगस्त को शाम 5:45 बजे चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की कोशिश करेगा। चंद्रयान-3 अपने साथ एक लैंडर और एक रोवर लेकर गया है। लैंडर चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की कोशिश करेगा और सफल लैंडिंग होने के बाद रोवर चांद की सतह पर रसायनों का खोज करेगा। वैज्ञानिक चांद पर मौजूद रसायनों का अध्यन करेंगे और पृथ्वी और चांद के रिश्तों को समझने की कोशिश करेंगे। बता दें कि अब तक केवल अमेरिका,चीन और रूस ही चांद की उत्तरी सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफल हुआ है। इसरो ने 2019 में चंद्रयान-2 के साथ चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतारने की कोशिश की थी लेकिन कुछ तकनीकी खामियों की वजह से विक्रम लैंडर चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर सका।