भारत का चंद्रयान 3 आज इतिहास रचने के बेहद करीब है। जिस पल का इंतजार कई दिनों से था, अब आखिरकार उसका वक्त आ गया है। चंद्रयान 3 पहली बार चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने वाला है। ये चांद का वो हिस्सा है जिसे दुनिया के कई देश एक्सप्लोर करना चाहते हैं। रूस का लूना 25 तो ये करते-करते फेल भी हो चुका है। ऐसे में अब भारत के पास एक अलग ही क्रांति लिखने का सुनहरा मौका है।
भारत आज रचेगा इतिहास, आराम-आराम से!
इसरो ने कुछ घंटे पहले ही एक और ट्वीट कर बताया है कि सबकुछ बिल्कुल ठीक है और विक्रम लैंडिंग करने को पूरी तरह तैयार है। बताया जा रहा है कि भारत का चंद्रयान 3 आज शाम को 6 बजकर 4 मिनट पर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करने जा रहा है। अब यहां ये समझना जरूरी है कि चंद्रयान कोई एक झटके में पलक झपकते ही कोई लैंडिंग नहीं करने वाला है। वो तो कच्छुए की चाल से धीरे धीरे आगे बढ़ेगा, जितना करीब आता जाएगा, रफ्तार भी उतनी ही कम होती जाएगी।
लूना 25 से इसरो ने क्या सीखा?
अब यहीं इसरो ने रूस के लूना 25 से सबक लिया है। रूस को इस बात पर बड़ा मान था कि उसका लूना 25 भारत के इसरो से पहले चांद पर पहुंच गया। लेकिन उसका ये गुमान ही उसे ले डूबा और ओवर स्पीडिंग की वजह से उसका लूना गलत ऑर्बिट में दाखिल हुआ और फिर चांद पर जा क्रैश कर गया। चंद्रयान 2 भी समय रहते अपनी रफ्तार को कम नहीं कर पाया था और उसकी चांद की सतह पर हार्ड लैंडिंग हुई थी। लेकिन अब चंद्रयान 3 ने पुरानी सभी गलतियों से सीखा है। इसी वजह से एक बार भी भारत का मून मिशन हड़बड़ी में नहीं दिखा और हर पड़ाव को पार करता चला गया।
लैंडिंग के टाइम रफ्तार कितनी कम?
अब इसी कड़ी में अब किस तरह से विक्रम की रफ्तार कम होती चली जाएगी, ये समझ लेना जरूरी है। असल में आज चंद्रयान 3 अपनी मंजिल 25 किलोमीटर ऊपर से शुरू करेगा। इसके बाद उसे सीधे 7.4 किलोमीटर की की ऊंचाई आना है। इसक बाद वो 6.8 किलोमीटर की दूरी पर आएगा और फिर सबसे आखिर में चांद पर लैंडिंग के दौरान स्पीड 1.68 मीटर प्रति सेकेंड रहेगी. कुछ इसी अंदाज में आज इतिहास रचने की तैयारी है।
दक्षिणी ध्रुव ही क्यों, ऐसा क्या है वहां?
वैसे जिस दक्षिणी ध्रुव पर भारत जाने की बात कर रहा है, उस इलाके से सही मायनों में काफी कुछ निकलवाया जा सकता है। साउथ पोल चांद का वो इलाका है जहां प सूर्य की एक भी किरण नहीं पड़ती है। इसी वजह से ये मिशन इतना चुनौतीपूर्ण है। वैसे चांद के दक्षिणी ध्रुव पर कई ऐसे रहस्य छिपे हुए हैं, जिनके बारे में अभी तक सिर्फ कयास लगाए जा रहे थे। असल में चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लूनर वॉटर आईस है, अगर सही तरह से उसका अध्ययन कर लिया जाए तो आने वाले सालों के लिए काफी कुछ पता चल सकता है।
चंद्रयान 3 को चांद पर क्या मिल सकता है?
असल में चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव अपनी विशेषता और वैज्ञानिक मूल्य के कारण वैज्ञानिक खोज के केंद्र में बना हुआ है। माना जाता है कि दक्षिणी ध्रुव पर जल और बर्फ के बड़े भंडार हैं जो स्थायी रूप से अंधेरे में रहता है। भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए जल की मौजूदगी का बहुत अधिक महत्व है क्योंकि इसे पेयजल, ऑक्सीजन और रॉकेट ईंधन के तौर पर हाइड्रोजन जैसे संसाधनों में तब्दील किया जा सकता है। यह इलाका सूर्य की रोशनी से स्थायी रूप से दूर रहता है और तापमान शून्य से 50 से 10 डिग्री नीचे रहता है। इसकी वजह से रोवर या लैंडर में मौजूद इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए आदर्श रसायनिक परिस्थिति उपलब्ध होती है जिससे वे बेहतर तरीके से काम कर सकते हैं।