इसरो ने जानकारी दी है कि 23 अगस्त को शाम 6:04 बजे चंद्रयान-3 की लैंडिंग लाइव दिखाई जाएगी। स्पेस विज्ञान में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के लिए ISRO की यह खबर काफी उत्सुकता पैदा कर रही है। अब इसे लाइव कहां और कैसे देख सकते हैं, इसकी जानकारी हम आपको दे रहे हैं। चंद्रयान-3 की लैंडिंग को इसरो की आधिकारिक वेबसाइट पर लाइव देखा जा सकता है। 23 अगस्त को शाम 5:27 बजे से ISRO के यूट्यूब चैनल, फेसबुक पेज और डीडी नेशनल पर आप चंद्रयान-3 की लैंडिंग  को लाइव देख सकते हैं। इसके अलावा अलग-अलग न्यूज़ चैनल्स और खासतौर पर जनसत्ता.कॉम के YouTube (LINK) पर भी इसे लाइव देखा जा सकता है।

आप अगर चंद्रयान-3 से जुड़ी हर जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो यह आर्टिकल आपकी इस उम्मीद को पूरा कर सकता है। सबसे पहले हम जानते हैं अब तक चंद्रयान-3 की पूरी टाइमलाइन…कि कब चंद्रयान-3 को रवाना किया गया और कब-कब इससे जुड़ी जानकारी सामने आती रही। 

कब,कहां और कैसे पहुंचा चंद्रयान-3

तारीख 7 से 13 जुलाई: चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान को लॉन्च करने की तारीख निर्धारित की गई जिसके बाद अलग-अलग तरह के परीक्षण पूरे किए गए और लॉन्च रिहर्सल की गई।

  • 14 जुलाई: चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में लॉन्च हुआ
  • 15 जुलाई: चंद्रयान-3 पहली कक्षा में पहुंचा 
  • 17 जुलाई: चंद्रयान-3 चंद्रमा के करीब पहुंचा, दूसरी कक्षा बढ़ाने की प्रक्रिया पूरी की गई।
  • 22 जुलाई: चंद्रयान-3 चौथी कक्षा में पहुंचा  
  • 25 जुलाई: एक और कक्षा बढ़ी और 1 अगस्त के लिए ट्रांसलूनर इंजेक्शन की योजना बनाई गई है।
  • 1 अगस्त: चंद्रयान-3 को ट्रांसलूनर कक्षा में स्थापित किया गया
  • 5 अगस्त: चंद्रयान-3 को चंद्रमा की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया, यह एक बड़ी सफलता थी। 
  • 6 से 16 अगस्त: चंद्रयान-3 की कक्षा चंद्रमा के चारों ओर 170 किमी x 4313 किमी से धीरे-धीरे कम होकर 153 किमी x 163 किमी हो गई है।
  • 17 अगस्त: लैंडर मॉड्यूल को प्रोपल्शन मॉड्यूल से सफलतापूर्वक अलग किया गया और 18 अगस्त को डीबूस्टिंग की योजना बनाई गई।
  • 19 अगस्त: चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा के चारों ओर केवल 113 किमी x 157 किमी की कक्षा में है। दूसरी डीबूस्टिंग की योजना 20 अगस्त को बनाई गई है।
  • 20 अगस्त: दूसरी और अंतिम डीबूस्टिंग की गई, जिससे लैंडर मॉड्यूल की कक्षा 25 किमी x 134 किमी तक कम हो गई।
  • चंद्रयान-3  और चंद्रयान-2 के मिलने का क्या मतलब है?
  • कहा जा रहा है कि चंद्रयान-3 का स्वागत चंद्रयान-2 ने किया है। लेकिन इसका मतलब क्या है? आइए समझते हैं। चंद्रयान-2 2019 में लॉन्च किया गया था। रोवर के साथ लैंडर चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था जिससे सॉफ्ट-लैंडिंग हासिल करने का उसका मिशन पूरा नहीं हुआ था। इस तरह हजारों भारतियों की उम्मीदें टूट गई थीं। 

इसरो ने बताया कि चंद्रयान-2 ऑर्बिटर जो चंद्रमा की कक्षा में है ने चंद्रयान-3 लैंडर मॉड्यूल विक्रम के साथ संपर्क किया है।  अब लैंडर मॉड्यूल एक से अधिक त कनेक्शनों में इसरो मुख्यालय से जुड़ा हुआ है।

अब आगे क्या होने वाला है? 

चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल विक्रम का अगला काम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर खुद को उतारना है और पूरा देश इस पल का इंतज़ार कर रहा है।  ISRO ने सोमवार को कहा कि चंद्रयान-3 पूरी तरह सुरक्षित है और पूरी तरह से काम कर रहा है और लैंडिंग के दिन किसी भी घटना हो जाने की आशंका अभी तक तो नहीं है। एक बार जब चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा की सतह पर पहुंच जाएगा, तो लैंडर विक्रम अपने पेलोड तैनात कर देगा।

शाम के समय लैंडिंग के क्या हैं मायने?

चंद्रयान-3 की लैंडिंग का समय 23 अगस्त की शाम साढ़े छह बजे के करीब रखा गया है। इसके लिए ठीक समय 06:04 बजे का रखा गया है। लेकिन सवाल यह है कि आखिर लैंडिंग शाम में क्यों रखी गई है? क्या अंधेरे में लैंडिंग होगी? लेकिन ऐसा नहीं है, जिस समय यहां अंधेरा होगा, चंद्रमा पर उजाला होगा, इसलिए ऐसा वक्त रखा गया है। विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर सूरज की रोशनी से ऊर्जा लेकर चंद्रमा पर रहेंगे। भारत अगर सफलता हासिल कर लेता है अमेरिका, पूर्व सोवितय यूनियन और चीन के बाद चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग हासिल करने वाला चौथा देश होगा।

लैंडिंग के बाद क्या होगा? 

एक बार जब चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा की सतह पर पहुंच जाएगा, तो लैंडर विक्रम अपने पेलोड तैनात कर देगा। ISRO के मुताबिक जब चंद्रयान-3 चांद पर पहुंचेगा तो वैज्ञानिक उसकी गति को धीरे-धीरे कम करेंगे और एक ऐसे पॉइंट पर ले आएंगे जिससे विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग हो जाएगी। 

ISRO का कहना है कि एक बार जब यह उतरेगा तो इसे स्थापित होने में कुछ घंटे लगेंगे जिसके बाद छह पहियों वाला रोवर रेंगकर चंद्रमा की सतह पर चट्टानों और गड्ढों के चारों ओर घूमेगा।