Chandrayaan-3 Update: चंद्रयान-3 ने चन्द्रमा पर एक और बड़ी खोज की है। चन्द्रमा की सतह पर घूम रहे प्रज्ञान रोवर ने चन्द्रमा की सतह पर कंपन महसूस किया है। चंद्रयान-3 ने इसरो को संदेश भेजा कि प्रज्ञान रोवर ने चांद की सतह पर भूकंप महसूस किया है। इसरो को मिली इस जानकारी के बाद ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि पृथ्वी की तरह ही चांद पर भी भूकंपीय गतिविधियां होती हैं। हालांकि इसरो अभी चंद्रयान से मिली इस जानकारी की जांच कर रहा है। प्रज्ञान रोवर में लगे पेलोड्स ने चन्द्रमा की सतह पर एक कंपन रिकॉर्ड किया है, जिसे भूकंप माना जा रहा है। इस जानकारी के बाद फिर से यह सवाल उठ रहा है कि क्या धरती के अलावा अन्य ग्रहों पर भी भूकंप आते है? नासा ने इस सवाल पर एक लम्बी रिसर्च की है।
बता दें कि 23 अगस्त को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने के बाद से ही चंद्रयान-3 कई अहम जानकारी भेज रहा है। अब तक चंद्रयान-3 ने चांद की सतह पर ऑक्सीजन और सल्फर होने का पता लगाया है। साथ ही विक्रम लैंडर में लगे पेलोड्स ने चांद की ऊपरी और निचली सतह के बीच तापमान में बड़ा अंतर होने की पुष्टि की है।
क्या अन्य ग्रह पर भी आते हैं भूकंप?
चन्द्रमा पर कंपन होना इस बात की पुष्टि करता है कि चांद पर भी भूकंप आते हैं। नासा के मुताबिक पृथ्वी के अलावा बहुत सारे ग्रह पर भूकंप आते रहते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक मंगल और शुक्र ग्रह पर भी भूकंप आने की पुष्टि हो चुकी है।
नासा वैज्ञानिक डॉ. जैकब रिचर्डसन के अनुसार मंगल और शुक्र ग्रह पर हज़ारों की संख्या में भूकंप आते रहते हैं। इन भूकंप को मापने के लिए नासा ने कई भूकंपमापी यंत्र स्पेस में भेजे हैं। डॉ. जैकब बताते हैं कि असल में इन ग्रहों की सतह के नीचे हजारों की संख्या में भूकंप मिले हैं। ऐसे में संभावना है कि सभी ग्रहों पर भूकंप आते रहते हैं क्योंकि तकरीबन सभी ग्रहों की सतह पर दरार मिली हैं जो भूकंप आने की पुष्टि करते हैं।
डॉ. जैकब के मुताबिक मंगल और शुक्र और चांद पर लगातार भूकंप आते रहते हैं। जिस तरह से धरती पर आए भूकंप को अर्थक्वेक (Earthquake) कहा जाता है उसी प्रकार चांद पर आए भूकंप को मूनक्वेक, मंगल पर आए भूकंप को मार्सक्वेक कहते हैं। इसी तरह शुक्र ग्रह पर आए भूकंप को वीनस क्वेक कहा जाता है।
प्रज्ञान रोवर को क्या महसूस हुआ?
इसरो ने जानकारी देते हुए बताया कि चंद्रयान-3 के प्रज्ञान रोवर में भूकंपीय गतिविधि महसूस की है। चन्द्रमा पर यह कंपन माइक्रो इलेक्ट्रो मैकेनिक सिस्टम से दर्ज किया गया है। इससे पहले 26 अगस्त को भी प्रज्ञान रोवर ने इस तरह के कंपन को महसूस किया था।
इसरो की जांच में इस बात की भी पुष्टि हुई है कि चांद की सतह पर प्लाज्मा बहुत कम है। वैज्ञानिक की भाषा में यह आयनीकृत एक गैस है, जिसमें इलेक्ट्रॉन और अणु होते हैं। चांद की सतह पर प्लाज्मा का पता विक्रम लैंडर के साथ गए पेलोड रेडियो एनाटॉमी ऑफ मून बाउंड हाइपरसेंसिटिव आयनोस्फीयर एंड एटमॉस्फियर ने लगाई है। इसरो के मुताबिक शुरुआती आकलन में जो निष्कर्ष निकले हैं वह इस बात की पुष्टि कर रहे हैं। इसके अलावा रोवर प्रज्ञान ने चांद की सतह पर सल्फर और अन्य तत्वों की उपस्थिति का भी पता लगाया हैं।