Chandrayaan-3 Update: इसरो चंद्रयान-3 मिशन से हर जानकारी देशवासियों तक पहुंचा रहा है। हाल ही में प्रज्ञान रोवर ने चांद की सतह पर ऑक्सीजन का पता लगाया है। इसके साथ ही चांद की सतह पर सल्फर की मौजूदगी की भी पुष्टि हो गई है। प्रज्ञान रोवर ने विक्रम लैंडर की तस्वीर खींच कर पृथ्वी पर भेजी है। तस्वीर में देखा जा सकता है कि विक्रम लैंडर में लगे पेलोड्स चन्द्रमा की सतह पर साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट कर रहा है। प्रज्ञान रोवर द्वारा ली गई तस्वीर इतनी स्पष्ट है कि सभी लोग आश्चर्य कर रहे हैं। रोवर द्वारा खींची गई तस्वीरों को देखने के बाद लोगों के मन में एक ही सवाल उठ रहा है कि प्रज्ञान रोवर में लगे दोनों कैमरे की क्वालिटी क्या है और चांद पर मौजूद रेडिएशन और वहां मौजूद तापमान इसे खराब तो नहीं कर देंगे?
प्रज्ञान रोवर में लगा कैमरा प्रज्ञान की आंख है जो इसे चन्द्रमा की सतह पर घूमने में मदद करता है। रोवर पर लगे इस कैमरे ने हाल ही में प्रज्ञान को चन्द्रमा पर मौजूद एक खाई में गिरने से भी बचाया था। साथ ही दोनों कैमरे समय-समय पर विक्रम लैंडर की तस्वीर भी भेजता रहता है। प्रज्ञान रोवर द्वारा ली गई हाल की तस्वीर इस बात की पुष्टि करता है कि विक्रम लैंडर की लैंडिंग सॉफ्ट थी। अब सवाल है कि क्या रोवर का कैमरा खराब हो सकता है? इसका जवाब है कि प्रज्ञान रोवर में लगे कैमरे चांद पर मौजूद रेडिएशन और तापमान से खराब नहीं होंगे। बता दें कि प्रज्ञान रोवर में लगे कैमरे को चंद्रयान-2 की असफलता से सबक लेकर तैयार किया गया है।
कैमरा कर रहा है अच्छे से काम- प्रोजेक्ट मैनेजर
पूर्व इसरो प्रमुख सेल्वराज ने कहा कि हमने LEOS में कैमरा बनाते वक्त स्वयं के ऑप्टिक्स और लघु सेंसर का उपयोग किया है। इसे इतनी अच्छी तरह से काम करते देखना बहुत अच्छा लग रहा है। रोवर द्वारा खींची गई लैंडर की तस्वीर बहुत स्पष्ट दिख रही है। LEOS और रोवर के प्रोजेक्ट मैनेजर ने बताया कि ये छोटे डिजिटल कैमरे बहु-तत्व लेंस का उपयोग करते हैं। ये कैमरे 50 मेगाराड के हैं। ये वास्तव में लंबे समय तक काम करने में सक्षम है।
चंद्रयान-2 की गलतियों से सीखा
प्रज्ञान रोवर में लगे कैमरे को लैबोरैटरी फॉर इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स सिस्टम (LEOS) द्वारा विकसित किया गया है। इस कैमरे को चंद्रयान-2 मिशन के लिए पहली बार 2012 में विकसित किया गया था। बता दें कि साल 2019 में जब चंद्रयान-2 को भेजा गया था तब यह भी दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इसके बाद इसरो के 12 वैज्ञानिक ने चंद्रयान-3 के लिए फिर से नया कैमरा को बनाया। प्रज्ञान रोवर में लगा कैमरा काफी हल्का है इसकी वजन मात्र 125 ग्राम है। यह कैमरा चांद पर मौजूद अत्यधिक तापमान को भी बड़ी आसानी से सह लेता है। इस कैमरा पर अंतरिक्ष में मौजूद रेडिएशन का भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इसरो के वैज्ञानिक ने कैमरा को माइनस 200 डिग्री तक के तापमान पर जांच किया है।