Chandigarh Mayor Controversy: चंडीगढ़ मेयर चुनाव विवाद में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। मेयर चुनाव को लेकर सीजेआई चंद्रचूड़ ने सख्त लहजा अपनाया। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि चंडीगढ़ मेयर चुनाव में रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप किया है। लाइव लॉ द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान खरीद-फरोख्त पर चिंता व्यक्त करते हुए प्रस्ताव दिया कि दोबारा से चुनाव करवाए जाने के बजाए चंडीगढ़ मेयर इलेक्शन का रिजल्ट डाले गए वोटों के आधार पर किया जाए। वहीं, कल दो बजे तक सभी मतपत्रों को कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया गया है।

30 जनवरी को हुए मेयर चुनाव में प्रशासन की तरफ से नियुक्त पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह ने आठ पार्षदों के वोट को अवैध करार दिया था।पीठासीन अधिकारी का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह अवैध करार दिए गए पार्षदों के वोटों पर निशान लगाते हुए दिखाई दिए थे। सीजेआई चंद्रचूड़ ने चंडीगढ़ प्रशासन को कड़ी फटकार लगाई थी। इसमें मुख्य न्यायधीश ने पीठासीन अधिकारी को तलब किया था। आज चंडीगढ़ मेयर चुनाव में रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। इसके बाद कोर्ट ने यह सख्त टिप्पणी की है।

क्या है पूरा मामला

बीते माह 30 जनवरी को चंडीगढ़ मेयर का चुनाव हुआ था। इसमें 20 वोट होने के बाद भी आम आदमी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन की करारी हार हो गई थी। वहीं 16 मत होने पर भारतीय जनता पार्टी जीत गई। ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह ने AAP-कांग्रेस गठबंधन के 8 वोट को अवैध करार दे दिया था। इसके बाद आम आदमी पार्टी के पार्षद व मेयर उम्मीदवार कुलदीप कुमार ने इसे चुनौती देते हुए पहले हाईकोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में तल्ख टिप्पणी करते हुए पीठासीन अधिकारी को जमकर फटकार लगाई।

इस बार किस पार्टी का पलड़ा भारी

चंडीगड़ मेयर का चुनाव अगर दोबारा करवाया जाता है तो भारतीय जनता पार्टी का पलड़ा भारी नजर आ रहा है। क्योंकि आम आदमी पार्टी के तीन पार्षदों के पार्टी में शामिल होने से बीजेपी के पास वोटों की संख्या 18 पहुंच चुकी है। वहीं एक पार्षद अकाली दल का भी है। ऐसे में अगर वो भी बीजेपी के पक्ष में वोट करता है तो ये संख्या 19 पहुंच जाएगी। ऐसे में अगर सुप्रीम कोर्ट से मेयर चुनाव दोबारा करवाने को लेकर कोई भी फैसला आता है तो बीजेपी का पार्षद ही बनना तय है। बता दें कि चंडीगढ़ मेयर की कुर्सी एससी कैटेगरी के लिए रिजर्व है।