केंद्र सरकार ने मंगलवार को नेशनल हाईवे के नियमों में संशोधन किया। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने एक अधिसूचना जारी की, जो ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) से लैस वाहनों के लिए नेशनल हाईवे और एक्सप्रेसवे पर प्रत्येक दिशा में प्रतिदिन 20 किलोमीटर तक की मुफ्त यात्रा की अनुमति देगी।

नॉटिफिकेशन के माध्यम से, मंत्रालय ने भारत में जीएनएसएस-आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह से संबंधित प्रावधानों को शामिल करने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरों और संग्रह का निर्धारण) नियम, 2008 में संशोधन किया। इस कदम का उद्देश्य नेशनल हाईवे टोल प्लाजा पर भीड़ को कम करना और ट्रैवेल की गई वास्तविक दूरी के आधार पर टोल वसूलना है।

अधिसूचना में कहा गया है, “राष्ट्रीय परमिट वाहन के अलावा किसी मैकेनिकल वाहन का चालक, मालिक या प्रभारी व्यक्ति, जो राष्ट्रीय राजमार्ग, स्थायी पुल, सुरंग या बाईपास का इस्तेमाल करता है, जैसा भी मामला हो, उस पर जीरो-यूजर फीस लगाई जाएगी। ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम आधारित उपयोगकर्ता शुल्क संग्रह प्रणाली के तहत एक दिन में प्रत्येक दिशा में बीस किलोमीटर तक की यात्रा के लिए शुल्क लिया जाएगा और अगर यात्रा की गई दूरी बीस किलोमीटर से ज्यादा है तो यात्रा की गई वास्तविक दूरी के लिए शुल्क लिया जाएगा।”

जीएनएसएस से लैस वाहनों को रुके बिना टोल प्लाजा से गुजरने की अनुमति

GNSS दूरी-आधारित टोलिंग देगा जहां उपयोगकर्ताओं को केवल उस हिस्से के लिए भुगतान करना होगा जो उन्होंने नेशनल हाईवे पर यात्रा की है। साथ ही, जीएनएसएस से लैस वाहनों को टोल भुगतान या फास्टैग स्कैनिंग के लिए रुके बिना टोल प्लाजा से गुजरने की अनुमति दी जाएगी। वे विशेष निर्धारित लेन का उपयोग करेंगे जिनमें टोल प्लाजा पर बूम बैरियर नहीं होंगे।

GNSS उपकरण नॉन ट्रांसफरेबल होगा

जीएनएसएस उपकरण – जिसे ऑन-बोर्ड यूनिट कहा जाता है नॉन ट्रांसफ़रेबल होगा और उपयोगकर्ता शुल्क संग्रह के लिए वाहन में मजबूती से फिट किया जाएगा। हालांकि, अगर बिना जीएनएसएस के लैस वाहन जीएनएसएस-स्पेशल लेन में प्रवेश करते हैं, तो उन्हें जुर्माने के रूप में दोगुना टोल देना होगा। जीएनएसएस के पास वाहनों के लिए एडवांस रीडिंग, पहचान और अन्य उपकरण होंगे ताकि वैध वाहनों को फ्री-फ्लो पास मिल सके।

(इनपुट- धीरज मिश्रा)