एयर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया को रद्द करने की मांग को लेकर दायर की गई राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका का केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट में विरोध किया है। स्वामी ने हाई कोर्ट में दायर की गई अपनी याचिका में विनिवेश प्रक्रिया को लेकर अपनाई गई कार्यप्रणाली को मनमाना, भ्रष्ट और सार्वजनिक हितों के खिलाफ बताया है।

मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की बेंच ने स्वामी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे की दलीलें सुनने के बाद कहा कि अदालत इस याचिका पर 6 जनवरी को फैसला सुनाएगी। इस दौरान पीठ ने केंद्र सरकार समेत अन्य प्रतिवादियों को मंगलवार दिन में ही संक्षिप्त नोट दाखिल करने को कहा, जबकि स्वामी को इसके लिए बुधवार तक का वक्त दिया।

सुब्रमण्यम स्वामी ने इस मामले में अधिकारियों की भूमिका और कामकाज की सीबीआई जांच किए जाने और कोर्ट के समक्ष एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने की भी मांग की है।

पिछले साल अक्टूबर में केंद्र सरकार ने टाटा संस की एक कंपनी द्वारा एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस के 100 प्रतिशत शेयरों के साथ-साथ ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी एआईएसएटीएस में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए पेश की गई उच्चतम बोली को स्वीकार किया था।

सुब्रमण्यम स्वामी ने एयर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया को लेकर अपनाई गई कार्यप्रणाली को मनमाना, दुर्भावनापूर्ण, भ्रष्ट और सार्वजनिक हितों के खिलाफ बताया है। इसपर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि यह याचिका तीन गलत धारणाओं पर आधारित है और इस पर विचार करने की आवश्यकता नहीं है।

उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता के मुताबिक, स्पाइसजेट दूसरी बोलीदाता थी, लेकिन तथ्य यह है कि एयरलाइन कभी भी उस संघ का हिस्सा नहीं थी और उसके खिलाफ लंबित कार्यवाही की यहां कोई प्रासंगिकता नहीं है। वहीं, हरीश साल्वे ने भी दलील दी कि याचिका में कुछ भी नहीं है और बोलियां पूरी हो चुकी हैं शेयर समझौतों पर हस्ताक्षर किए जा चुके हैं और यह सब काफी समय से सार्वजनिक डोमेन में है। सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि इस याचिका पर 6 जनवरी को आदेश पारित किया जाएगा।