गंगा नदी के दुनिया के दस सबसे प्रदूषित नदियों में शामिल होने की पृष्ठभूमि में सरकार ने समग्र गंगा अधिनियम बनाने, सींचेवाला माडल पर सफाई कार्य आगे बढ़ाने और गंगा नदी के किनारे छोटे छोटे तालाबों का निर्माण व मरम्मत कार्य आगे बढ़ाने की योजना बनाई है। जल संसाधन, नदी विकास व गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने बताया कि हरिद्वार से गंगा सागर तक की कहानी गंगा नदी में औद्योगिकी कचरे से जुड़ी है। बकौल उमा इसके साथ ही 1600 ग्राम पंचायत और 6000 गांव से निकलने वाली गंदगी भी स्थिति को गंभीर बनाते हैं। इससे निपटने के लिए हमने पंजाब के सींचेवाला माडल की तर्ज पर अलग व्यवस्था की है। महत्त्वपूर्ण है कि पंजाब के कपूरथला जिले में जाने माने पर्यावरणविद बलवीर सिंह सीचेंवाल ने काली बेन जलधारा को बहाल करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, गंगा नदी में 144 बड़े नाले गिरते हैं और पांच से 10 हजार छोटे नालों से गंदगी नदी में आती है।

उमा ने कहा कि उन्होंने हाल में संसद में भी कहा है और अब भी उसे दोहरा रही हैं कि जब वह सांसद नहीं थी तब उन्होंने गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए सांसदों व अन्य लोगों को गंगाजल भेजा था। उस समय सभी राजनीतिक दलों के नेताओं, सभी धर्मों व वर्गों के लोगों ने कहा था कि गंगा के विषय पर सभी एकमत हैं और इस पर कोई मतभेद नहीं है। उन्होंने कहा कि गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए नमामि गंगे समेत अन्य योजनाओं के माध्यम से काम चल रहे हैं। अब समग्र गंगा अधिनियम बनाने हैं। इस बारे में कानून बनाने पर विचार चल रहा है। इस विषय पर जब संसद में विधेयक पेश होगा तब वह इसे पारित कराने में सभी वर्गों से वैसी ही एकजुटता प्रदर्शित करने का आग्रह कर रही हैं जैसा कि गंगाजल बांटते समय किया गया था।

उत्तरप्रदेश, बिहार, हरियाणा समेत अन्य राज्यों से कहा गया है कि वे उन छोटे-छोटे तालाबों की सूची बना लें जिनकी मरम्मत करनी है। साथ ही गंगा नदी के किनारे छोटे तालाबों के निर्माण की पहल को आगे बढ़ाएं। इससे अन्य बातों के अलावा गंगा नदी के किनारे रहने वाले लोगों को मछली की सुविधा प्राप्त होगी। राज्यों के परामर्श से एक समग्र गंगा अधिनियम बनाने पर सहमति बनी। केंद्र और राज्य सरकार के मंत्रियों व प्रतिनिधियों ने सर्वसम्मति से यह तय किया कि पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति गिरधर मालवीय के नेतृत्व में एक गंगा एक्ट का प्रारूप तैयार किया जाएगा। यह कानून भविष्य में गंगा संरक्षण के कार्य को कार्यान्वित करेगा।

इसके अलावा डी-सिल्टिंग के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञ माधव चिताले की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। इसमें सचिव जल संसाधन, नदी विकास व गंगा संरक्षण और सचिव पर्यावरण व वन मंत्रालय सदस्य हैं। यह समिति भीमगोड़ा (उत्तराखंड) से लेकर फरक्का (पश्चिम बंगाल) तक डी-सिल्टिंग के कार्य से संबंधित दिशानिर्देश व अन्य संस्तुतियां प्रदान करेगी। विश्व की उत्तम जल शोधन प्रौद्योगिकी के आधार पर गैर चिह्नित नालों पर छोटे छोटे प्रोजेक्ट चलाए जाएंगे। 10 जलमल शोधन संयंत्र (एसटीपी) के लिए पहले चरण में हाइब्रिड एन्यूटी मॉडल के आधार पर टेंडर प्रक्रिया की पहल की जा रही है।