केंद्र सरकार जल्द ही भारतीय विदेश सेवा के पूर्व अफसर और सूचना आयुक्त यशवर्धन कुमार सिन्हा को मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त कर सकती है। इसके अलावा पत्रकार उदय महुरकर को भी सूचना आयुक्त बनाया जा सकता है। बताया गया है सरकार ने उप नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (डिप्टी सीएजी) सरोज पुन्हानी को भी सूचना आयुक्त बनाने का निर्णय कर लिया है। सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने इसकी जानकारी सिन्हा को पहले ही दे दी है। इस बारे में जब द इंडियन एक्सप्रेस ने सिन्हा से संपर्क किया, तो उन्होंने इसकी पुष्टि की।
बता दें कि यशवर्धन सिन्हा और महुरकर की नियुक्ति का फैसला सरकार ने तब लिया है, जब इनके नाम पर विचार करने वाली कमेटी में शामिल विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने दोनों नामों पर आपत्ति जताते हुए एक नोट लिखा था। 24 अक्टूबर को कमेटी की बैठक में चौधरी ने आवेदकों की छंटनी को खानापूर्ति करार दिया था और कहा था कि यह पूरी प्रक्रिया ही पारदर्शिता और जवाबदेही के लक्ष्य को पूरा नहीं करती, जिसकी आरटीआई एक्ट में परिकल्पना की गई थी।
बताया गया है कि अधीर रंजन चौधरी ने बैठक के दौरान कहा था कि सीआईसी का ज्यादा आधारभूत घरेलू अनुभव होना चाहिए। वह भी सेवा, कानून, विज्ञान, मानवाधिकार और आम जनता से जुडे़ मुद्दों पर, जो कि एक विदेश सेवा से जुड़े अफसर के पास नहीं होता। चौधरी ने तर्क दिया था कि सूचना आयुक्त वंजना एन सरना उनसे (सिन्हा से) वरिष्ठ थीं और पद के लिए सबसे उपयुक्त थीं।
चौधरी ने महुरकर के नाम पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि उनका नाम भी अचानक से ही चर्चा के लिए सामने आ गया, जबकि उन्होंने सूचना आयुक्त पद के लिए आवेदन नहीं किया था और न ही उनका नाम 355 आवेदकों में शामिल था। महुरकर के लेखों, कमेंटों और सोशल मीडिया प्रोफाइल का जिक्र करते हुए चौधरी ने कहा था कि वे सत्तासीन पार्टी और उसकी विचारधारा के समर्थक हैं।
बता दें कि महुरकर पहले इंडिया टुडे मीडिया ग्रुप में वरिष्ठ डिप्टी एडिटर रह चुके हैं। उन्होंने कुछ समय पहले ही मोदी सरकार और उनके शासन पर एक किताब भी लिखी थी। उन्होंने भी अपनी नियुक्ति की चिट्ठी मिलने की बात की पुष्टि की। दूसरी तरफ डिप्टी सीएजी सरोज पुन्हानी जो कि 1984 बैच की इंडियन ऑडिट एंड अकाउंट्स सर्विस (आईएएएस) ने भी नियुक्ति की जानकारी मिलने की पुष्टि की।
जानकारी के मुताबिक, सीआईसी के पद के लिए 139 आवेदन आए थे। इसके अलावा सूचना आयुक्त पद के लिए 355 आवेदन आए थे। बताया गया है कि चौधरी ने सर्च कमेटी के तरीकों पर सवाल उठाते हुए कहा था कि उसने सुप्रीम कोर्ट के शॉर्टलिस्टिंग के तरीकों की अनदेखी की है। मौजूदा समय में CIC में सिर्फ पांच सूचना आयुक्त हैं और इसकी क्षमता 10 सदस्यों की है। इन सूचना आयुक्तों का कार्यकाल पांच साल या 65 साल की उम्र तक का रखा गया था। हालांकि, पिछले साल आरटीआई एक्ट में बदलाव कर इस कार्यकाल को तीन साल कर दिया था।