प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2015 में स्किल इंडिया मिशन योजना की शुरूआत की थी। इसका उद्देशय वर्ष 2022 तक देश के 40 करोड़ लोगों को स्किल्ड (कुशल) बनाना था। लेकिन सरकार अपने इस योजना में सफल नहीं हो पायी। अब तक सिर्फ 2.5 करोड़ लोगों को ही कुशल बनाया जा सका है।तमाम प्रोत्साहनों के बावजूद यह योजना अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर सकी। सरकार अब इस योजना में बदलाव करने की तैयारी रही है। केंद्र सरकार इसे फिर से नए रूप में शुरू करने की योजना बना रही है। अधिकारियों ने बताया कि नए रूप में पेश होने के बाद इस योजना में सब्सिडी की जगह प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। निजी क्षेत्र के लोगों को भी प्रोत्साहित करने के लिए लाभ दिया जाएगा।

इकोनॉमिक टाईम्स की रिपोर्ट के अनुसार, एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि आंतरिक तौर पर चर्चा की गई कि कैसे स्किल इंडिया मिशन को और ज्यादा प्रभावी बनाया जाए ताकि स्किल ट्रेनिंग की गुणवत्ता अंतरराष्ट्रीय स्टैंडर्ड का हो। इसका दायरा बढ़ा हर साल लाखों युवाओं को इससे जोड़ा जा सके। अधिकारी ने बताया कि इसका एक उपाय यह सामने आया कि निजी क्षेत्र के लोगों को प्रोत्साहित किया जाए जिनके स्किल टारगेट को उनके सलाना टर्नओवर से जोड़ा जा सकता है। साथ ही इस बात भी विचार किया गया कि स्कूल स्तर पर युवाओं को छात्रवृति देकर व्यवसायिक पाठ्यक्रमों से जोड़ा जाए।

नीति आयोग ने भी सलाह दी है कि सरकार निजी विद्यालयों को प्रोत्साहन राशि और कम ब्याज दर पर लोन उपलब्ध करवाये ताकि सेकेंडरी लेवल स्कूल पर ही ट्रेनिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया जा सके और छात्रों को कौशल विकास की ट्रेनिंग दी जा सकते।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2015 में स्किल इंडिया मिशन की शुरूआत की थी। इस मिशन का लक्ष्य भारत का विश्व का ‘स्किल कैपिटल’ बनाना था। सरकार का उद्देशय वर्ष 2022 तक प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना, दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना और राष्ट्रीय शिक्षुता संवर्धन योजना के माध्यम से 40 करोड़ लोगों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना था। हालांकि, अभी तक सिर्फ 2.5 करोड़ लोगों को स्किल ट्रेनिंग दी गई है। वर्ष 2018-19 के केंद्रीय बजट में इस बाबत 3400 करोड़ राशि का आवंटन किया गया था। वहीं, इसके पिछले वाले वित्तिय वर्ष में 2,356 करोड़ राशि का आवंटन किया गया था।

कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय द्वारा जारी वर्ष 2017-18 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, देश के 34 सेक्टरों में वर्ष 2017 से 2022 के बीच करीब 13 करोड़ कुशल श्रमिकों की मांग है। लेकिन भारत में 5 प्रतिशत से भी कम कुशल श्रमिक हैं। वहीं, मंत्रालय द्वारा वर्ष 2015-16 में जारी रिपोर्ट के अनुसार, अन्य देशों जैसे दक्षिण कोरिया में कुशल श्रमिकों का प्रतिशत 96, जापान में 80, जर्मनी में 75, ब्रिटेन में 68 और अमेरिका में 52 प्रतिशत है।