मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) राजीव कुमार के लिए यह उत्तराखंड का दौरा एक रोमांचक और अप्रत्याशित अनुभव साबित हुआ। उन्हें अपने हेलीकॉप्टर के पायलट और कुछ अधिकारियों के साथ एक भूतिया गांव में शून्य से नीचे के तापमान में रात बितानी पड़ी। यह तब हुआ जब खराब मौसम के चलते उनके हेलीकॉप्टर को पिथौरागढ़ (Pithoragarh) जिले के मुनस्यारी (Munsyari) ब्लॉक के रालम गांव (Ralam village) में आपातकालीन लैंडिंग करनी पड़ी। रालम गांव बर्फ से ढका एक वीरान क्षेत्र है, जहां पहले 28 घर थे, लेकिन अब यह गांव खाली पड़ा है। मुख्य चुनाव आयुक्त और उनके साथियों ने ठंड में एक खाली घर में शरण ली और रात बिताई।
जिस गांव में वह रुके थे, वहां कोई नहीं रहता है
रालम गांव एक दूरदराज का इलाका है, जहां लोगों का रहन-सहन बर्फबारी और कठिन हालातों के चलते संभव नहीं रहा, इसलिए इसे छोड़ दिया गया है। यहां रहना बेहद मुश्किल हो गया है, और यही वजह है कि गांव अब वीरान पड़ा हुआ है। राजीव कुमार, जो अपने पांच दिवसीय दौरे पर थे, राज्य के ऊंचाई वाले मतदान केंद्रों का जायजा लेने आए थे ताकि उन क्षेत्रों में मतदान प्रक्रिया की चुनौतियों को समझा जा सके। लेकिन इस यात्रा में उन्हें अप्रत्याशित रूप से एक बर्फीली रात का सामना करना पड़ा।
रातभर के लिए राजीव कुमार और उनके साथियों के पास एक खाली घर में ठहरने के अलावा कोई चारा नहीं था। कड़कड़ाती ठंड में तापमान शून्य से भी नीचे था, और मौसम की विकट परिस्थितियों ने उनके बचाव की कोशिशों को मुश्किल बना दिया। इसके बावजूद, समूह ने धैर्य के साथ पूरी रात बिताई। अगले दिन मौसम में सुधार होते ही हेलीकॉप्टर ने फिर से उड़ान भरी और सभी को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया।
यह पहली बार नहीं है जब मुख्य चुनाव आयुक्त ने ऐसे कठिन इलाकों का दौरा किया हो। इससे पहले भी, उन्होंने उत्तराखंड के दूरस्थ इलाकों में जाकर मतदान टीमों और मतदाताओं की कठिनाइयों को नजदीक से समझा था। वह अक्सर दुर्गम क्षेत्रों में जाकर खुद निरीक्षण करते हैं, ताकि चुनाव प्रक्रिया को सुचारू रूप से संचालित करने में कोई कमी न रह जाए। इस यात्रा का उद्देश्य भी यही था। यह जानना कि किस तरह दूरदराज के क्षेत्रों में चुनाव कराना एक चुनौती बनता है और किन उपायों से इसे आसान बनाया जा सकता है।
राजीव कुमार के इस साहसिक अनुभव ने यह दिखा दिया है कि देश के शीर्ष चुनाव अधिकारी न केवल कार्यालय में बैठकर निर्णय लेते हैं, बल्कि मैदान पर जाकर सबसे कठिन परिस्थितियों में भी काम करने के लिए तैयार रहते हैं। यह चुनाव आयोग की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है कि चाहे मौसम कितना भी खराब हो, देश के हर नागरिक को मतदान का अधिकार और सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा।