प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (CDS) जनरल बिपिन रावत के वायु सेना को लेकर दिये गए एक बयान के बाद तीनों सेनाओं के संयुक्त कमान थिएटर कमांड का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में है। सीडीएस ने शुक्रवार को अपने एक बयान में वायु सेना को “सहयोगी इकाई” बताया। जिसके बाद वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने इसपर असहमति जताते हुए कहा कि, “वायुशक्ति की बहुत बड़ी भूमिका है।”
ग्लोबल काउंटर टेररिज्म काउंसिल द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए, जनरल रावत ने कहा कि “वायु सेना को जमीनी बलों को सहायता प्रदान करने की आवश्यकता है” और “यह मत भूलो कि वायु सेना सशस्त्र बलों के लिए एक सहायक शाखा बनी हुई है।” जनरल रावत ने बातचीत में कहा कि इंडियन एयरफोर्स को एकल वायु रक्षा कमान को लेकर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। ग्राउंड पर मौजूद सुरक्षा बलों को वायु सेना से सपोर्ट देने की अपेक्षा की जाती है।
वहीं दूसरी ओर वायु सेना चीफ राकेश भदौरिया ने सीडीएस बिपिन रावत के बयान को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि इंडियन एयरफोर्स इंडियन आर्मी की सपोर्ट आर्म नहीं है। इंडियन एयरफोर्स ग्राउंड फोर्सेज से पहले जाकर किसी भी प्रकार के खतरे को कम करती है। एयर फोर्स ग्राउंड को सपोर्ट नहीं करती बल्कि फोर्सेज की अगुवाई करती है।
जनरल बिपिन रावत ने कहा कि भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए भारत को एक अलग सैन्य कमान संरचना की आवश्यकता है। जनरल रावत ने कहा कि देश को ‘ग्रे जोन’ युद्ध जैसे उभरते सुरक्षा खतरों का सामना करने के लिए एक अलग सैन्य कमान संरचना और एक आदर्श प्रतिमान की जरूरत है।
जम्मू वायुसेना स्टेशन पर ड्रोन हमले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अगर इस तरह के हमले भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करते हैं, तो उसे अपनी पसंद के स्थान और समय पर प्रतिक्रिया देने का अधिकार सुरक्षित रखना चाहिए।
थिंक-टैंक ‘ग्लोबल काउंटर-टेररिज्म काउंसिल (जीसीटीसी)’ में एक सत्र में, जनरल रावत ने कहा कि सशस्त्र बलों ने ड्रोन रोधी एक तंत्र विकसित किया है, लेकिन देश को यदि संपूर्ण रणनीतिक संपत्तियों की रक्षा करनी है तो उसे बहुत बड़ी संख्या में ऐसी प्रणालियों की आवश्यकता है।
उन्होंने सेना, वायुसेना और नौसेना की क्षमताओं को एकीकृत करने वाली प्रस्तावित ‘थिएटर कमान’ का भी पुरजोर समर्थन करते हुए कहा कि भविष्य की चुनौतियों, युद्धों और संचालन के लिए उनके संसाधनों का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए पुनर्गठन आवश्यक था। उन्होंने कहा कि नए ढांचे एक साल के भीतर उभरेंगे।
जम्मू में ड्रोन हमले के संदर्भ में, जनरल रावत ने कहा, ‘‘संघर्षविराम का मतलब नियंत्रण रेखा पर विरोधियों के बीच केवल आग को रोकना नहीं है। यदि आप अप्रत्यक्ष प्रणालियों का उपयोग कर रहे हैं, सद्भाव को बाधित करेंगे और एक-दूसरे को नुकसान पहुंचाएं … यह संघर्षविराम का उल्लंघन है। हम इससे उसी तरह निपटेंगे।’’