सीबीआई की विशेष अदालत ने शनिवार को एजेंसी के पूर्व स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना और डीएसपी देवेंदर कुमार को क्लीन चिट देने की याचिका स्वीकार कर ली। सीबीआई की तरफ से दायर चार्जशीट पर सहमति देते हुए स्पेशल जज संजीव अग्रवाल ने कहा कि अस्थाना और कुमार के खिलाफ आगे की कार्रवाई के लिए सबूत नहीं हैं। अगर आगे जांच में नए तथ्य सामने आते हैं तो हम मामले को देखेंगे। सीबीआई ने चार्जशीट में अस्थाना और अन्य आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के सबूत नहीं मिलने की बात कही थी।

क्या था मामला?: राकेश अस्थाना ने अपने खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद ही आरोपों को मनगढंत बताया था। दरअसल, सीबीआई ने अस्थाना को एजेंसी ने अक्टूबर 2018 में गिरफ्तार किया था। एक दिन बाद ही सीबीआई ने दुबई के रहने वाले मनोज प्रसाद और फिर देवेंदर कुमार को भी कस्टडी में ले लिया। आरोप था कि जब अस्थाना मीट कारोबारी मोइन कुरैशी के खिलाफ एक मामले की जांच कर रहे थे, तब उन्होंने हैदराबाद के कारोबारी सतीश साना से 10 करोड़ रुपए की रिश्वत मांगी। सीबीआई ने साना की शिकायत पर ही उनके खिलाफ मामला दर्ज किया था। साना का कहना था कि उसने दिसंबर 2017 से लेकर 10 महीनों में अस्थाना को रिश्वत दी थी।

सीबीआई ने 11 फरवरी 2020 को इस मामले में मनोज प्रसाद के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। कोर्ट ने इसी चार्जशीट को स्वीकार करते हुए राकेश अस्थाना को क्लीन चिट दी।

आरोपों से शुरुआत से ही इनकार करते रहे हैं राकेश अस्थानाः फिलहाल नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) और ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन (बीसीएएस) के प्रमुख अस्थाना अपने ऊपर लगे आरोपों को शुरुआत से ही नकारते रहे हैं। उन्होंने कहा था कि उनके खिलाफ एफआईआर आलोक वर्मा के निर्देश पर दर्ज हुई, क्योंकि उन्होंने आलोक के भ्रष्ट कामों की जानकारी कैबिनेट सेक्रेटरी को दे दी थी। अस्थाना ने भी आलोक वर्मा पर सतीश बाबू साना से 2 करोड़ रुपए की रिश्वत लेने का आरोप लगाया था। बाद में सरकार ने अफसरों का तबादला कर दिया तो मामला कुछ शांत हुआ।