सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सीबीआई प्रमुख के तौर पर वापसी करने वाले जांच एजेंसी के निदेशक आलोक वर्मा कार्यभार संभालते ही एक्‍शन में आ गए हैं। न्यूजी एजेंसी पीटीआई ने एक अधिकारी के हवाले से बताया है कि आलोक वर्मा ने सीबीआई के तत्‍कालीन अंतरिम निदेशक एम. नागेश्‍वर राव द्वारा जारी अधिकांश ट्रांसफर ऑर्डर को निरस्‍त कर दिया है। आलोक वर्मा ने 77 दिन बाद अपना कार्यभार बुधवार को संभाल लिया था। इससे पहले केन्द्र सरकार ने 23 अक्टूबर 2018 को देर रात आदेश जारी कर वर्मा के अधिकार वापस लेकर उन्हें जबरन छुट्टी पर भेज दिया था। इस कदम की व्यापक स्तर पर आलोचना हुई थी। हालांकि इस आदेश को मंगलवार को उच्चतम न्यायालय ने रद्द कर दिया, जिसके बाद वर्मा ने कार्यभार संभाल लिया था।

जिन अधिकारियों का ट्रांसफर रद्द हुआ है, उनकी सूची (ANI)
वर्मा और उप विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ एजेंसी ने भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था और दोनों अधिकारियों को छुट्टी पर भेजने वाला अक्टूबर का यह आदेश एजेंसी के इतिहास में सरकार के हस्तक्षेप का यह अपनी तरह का पहला मामला था। सरकार ने न्यायालय में यह कहकर अपने निर्णय को सही ठहराने की कोशिश की कि एजेंसी के दो वरिष्ठतम अधिकारी एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे थे ऐसे लड़ाई झगड़े में यह कदम उठाना आवश्यक था लेकिन शीर्ष अदालत ने उनकी यह दलील खारिज कर दी।

सरकार ने तत्कालीन संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को वर्मा का कार्यभार सौंप दिया था, जिन्हें बाद उन्हें एजेंसी का अतिरिक्त निदेशक बना दिया गया था। वर्मा ने इस कदम को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी। मंगलवार को उच्चतम न्यायालय ने वर्मा को जबरन छुट्टी पर भेजने के केन्द्र के निर्णय को रद्द कर दिया, हालांकि वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर सीवीसी की जांच पूरी होने तक उन पर (वर्मा) कोई भी महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय लेने पर रोक लगाई है।

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उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा कि वर्मा के खिलाफ आगे कोई भी निर्णय सीबीआई निदेशक का चयन एवं नियुक्ति करने वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति द्वारा लिया जाएगा। आलोक कुमार वर्मा का केन्द्रीय जांच ब्यूरो के निदेशक के रूप में दो वर्ष का कार्यकाल 31 जनवरी को पूरा हो रहा है। (एजेंसी इनपुट के साथ)